उत्तराखंड में खुलने वाले हैं 'उत्तरा फिश' के 12 आउटलेट, लोगों को मिलेंगे रोजगार के नए अवसर

उत्तराखंड में खुलने वाले हैं 'उत्तरा फिश' के 12 आउटलेट, लोगों को मिलेंगे रोजगार के नए अवसर

देहरादून, उत्तराखंड में मछली पालन को स्वरोजगार का एक बड़ा जरिया बनाने की तैयारी चल रही है। मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने देहरादून, हरिद्वार, पौड़ी, नैनीताल और ऊधमसिंहनगर जिलों में उत्तरा फिश ब्रांड के 12 आउटलेट खोलने की तैयारी करली है। मछली पालन को बढ़ावा देने के साथ साथ सरकार ने मछली की ट्राउट प्रजाति के उत्पादन को बढ़ाने के लिए भी लोगों को अधिक प्रोत्साहन दिया है। सचिव मत्स्य आर. मीनाक्षी सुंदरम जी के अनुसार इस कदम से प्रदेश में बड़ी संख्या में युवाओं को स्वरोजगार के अवसर मिलेंगे और बेरोजगारी भी कम होगी। उत्तराखंड में वर्तमान समय में हरिद्वार, ऊधमसिंहनगर, टिहरी, चमोली, रुद्रप्रयाग, उत्तरकाशी, बागेश्वर और पिथौरागढ़ जिलें में लोग मुख्य रूप से मछली पालन के कार्य से जुड़े हुए है। यहां सभी प्रकार की मछलियों का सालाना उत्पादन लगभग 5200 मीट्रिक टन होता है।

इसमें से ए-ग्रेड की मछलियां कोलकाता समेत अन्य कई शहरों में भेज दी जाती हैं और बाकी शेष मछलियों की खपत राज्य में ही हो जाती है। कोरोना महामारी के संकट के चलते बड़ी संख्या में प्रवासी अपने गांव लौटे हैं इसलिए उन्हें और अन्य युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए सरकार ने मछली पालन और मछलियों की बिक्री की तरफ अपने कदम बढ़ाए है।

मत्स्य सचिव आर. मीनाक्षी सुंदरम जी ने जानकारी दी कि विभाग ने 'उत्तरा फिश' ब्रांड के नाम से अपना एक ब्रांड बाजार में लांच किया है। देहरादून में खोले गए आउटलेट के साथ साथ इसका मोबाइल वैन से बिक्री में अच्छा परिणाम देखने को मिला है। उन्होंने यह भी बताया कि इस पहल को आगे बढ़ाते हुए पांच जिलों में उत्तरा फिश के आउटलेट खोले जाएंगे। यदि कोई आउटलेट लेना चाहता है तो इसके लिए खुद की दुकान या फिर 10 साल की लीज होना अनिवार्य है। इन आउटलेट में ट्राउट समेत पांच से छह उन प्रजाति की मछलियों की ब्रिकी होगी जिनका उत्पादन राज्य में किया जा रहा है और इसी के साथ मछलियों का एक्सपोर्ट भी की जाएगा।

प्रदेश में ट्राउट मछली पर किया जा रहा है खास फोकस

मत्स्य सचिव आर. मीनाक्षी सुंदरम जी ने बताया कि प्रदेश में ट्राउट मछली के उत्पादन पर खास फोकस किया जा रहा है। इस मछली को अन्य मछली प्रजातियों से अधिक पौष्टिक माना जाता है। फिलहाल राज्य में ट्राउट मछली का सालाना लगभग 144 मीट्रिक टन उत्पादन हो रहा है। अगले दो से तीन वर्षों में इस उत्पादन को 2 हजार मीट्रिक टन करने का लक्ष्य बनाया गया है। इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए काफी संख्या में हैचरी निर्माणाधीन भी चल रहा है।

मत्स्य बीज की होगी आपूर्ति

मत्स्य विभाग के संयुक्त निदेशक एचके पुरोहित जी ने बताया कि राज्य में इस समय 4 हैचरियों में 10 से 12 लाख मत्स्य बीज का उत्पादन किया जा रहा है और आने वाले 2 वर्षों में यह संख्या 70 से 80 लाख करने का लक्ष्य बनाया गया है। इसके लिए नई हेचरियाँ भी तैयार करवाई जा रही है। इसी के साथ साथ राज्य में डेनमार्क से भी मत्स्य बीज मंगाया जा रहा है, जिसके अच्छे परिणाम देखने को मिले हैं।