बेतिया जिले में खत्म होगी आंध्र प्रदेश की मछलियों पर निर्भरता, सरकार ने शुरू की नई योजना

बेतिया, जिले में मछली पालन के साथ-साथ जल संरक्षण को लेकर चौर में तालाब की खुदाई करवाने की योजना चल रही है। मछली पालन के क्षेत्र में लोगों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए पायलट प्रोजेक्ट को भी तैयार किया जा रहा है। इससे प्रोजेक्ट से आंध्र प्रदेश की मछलियों पर जिले के लोगों की निर्भरता खत्म हो जाएगी। इस योजना से किसानों को भी लाभ मिलेगा। चौर की भूमि में तालाब की खुदाई कराने वाले किसानों को 50 फीसद अनुदान सरकार द्वारा मिलने वाला है। बेतिया जिले में चौर की भूमि लगभग 4000 हेक्टेयर है, लेकिन अभी सरकार ने 50 हेक्टेयर की भूमि में ही तालाब की खुदाई करवाने का फैसला लिया है। मत्स्य प्रसार पदाधिकारी पीयूष रंजन कुमार जी ने बताया कि मुख्यमंत्री समेकित चौर भूमि विकास योजना से बड़े पैमाने पर मछली पालन के साथ-साथ कृषि व बागवानी को भी विकसित किया जाएगा। बेकार पड़े जल क्षेत्र (चौर की भूमि) में मछली किया जाएगा। मछली पालन के लिए इन क्षेत्रों में तालाब की खुदाई होगी और इसके तटबंध पर बागवानी भी होगी। इस योजना से बड़े पैमाने पर लोगों को रोजगार भी मिलेगा। इसी के साथ जिले में आंध्र प्रदेश समेत अन्य राज्यों से आने वाली मछलियों की आवक बजी कम हो जाएगी।

एक किसान अधिकतम कर सकेगा लगभग दो हेक्टेयर भूमि में मछली पालन

बेतिया जिले में करीब चार हजार हेक्टेयर चौर की भूमि उपलब्ध है। यह ऐसी भूमि है, जहां करीब आठ से दस माह पानी जमा रहता है। किसान इस भूमि में खेती-बाड़ी नहीं कर पाते है। एसी स्तिथि में इस योजना से न सिर्फ बेकार पड़ी भूमि का सदुपयोग होगा, बल्कि किसानों की आमदनी में भी इजाफा होगा। मछली पालन से युवाओं को रोजगार का नया अवसर भी प्राप्त होगा। एक किसान अधिकतम दो हेक्टेयर भूमि में तालाब की खोदाई व मछली पालन कर सकेंगे।

मछुआरों की आर्थिक स्थिति होगी मजबूत

बेतिया जिले में 18 प्रखंड स्तरीय मछुआ समिति क्रियाशील है। इन 18 समितियों में करीब तीन लाख के आसपास सदस्य शामिल हैं। इनमें से अधिकांश लोगों की रोजी रोटी मछली पालन से जुड़ी हुई है। कुछ लोग मछली उत्पादन करते हैं तो कुछ लोग बाहर से मछली मगवाकर उसकी बिक्री करते है। ऐसे में अगर स्थानीय स्तर पर मछली पालन का कार्य शुरू होगा तो यहां के मछुआरों की आर्थिक स्थिति भी सुधरेगी और मजबूत बनेगी।