Aquaponic Farming: मछली पालन और खेती ऐसे करें एक साथ

Aquaponic Farming: मछली पालन और खेती ऐसे करें एक साथ

भारत में अब कृषि को लेकर बहुत सारे प्रयोग किए जा रहे है। एक्वापोनिक खेती में मछली पालन और खेती, दोनों को ही एक साथ किया जाता है। इस तकनीक एक टैंक में मछली पालन और दूसरी तरफ पानी पर हाइड्रोपोनिक खेती की प्रणाली का उपयोग किया जाता है।

कैसे काम करती है ये तकनीक?

आमतौर पर टैंक में मछलियां फीड खाने के बाद करीब 70 फीसदी तक मल निकालती है और इस मल में अमोनिया होता है। अगर यह मल टैंक में पड़ा रह जाए तो यह मछलियों के लिए जानलेवा साबित हो सकता है। इस तकनीक में टैंक में मौजूद मछली के मल वाले पानी को हाइड्रोपोनिक खेती करने के लिए इस्तेमाल में लिया जाता है। यह पानी पौधों के अच्छे विकास के लिए बहुत ही अहम माना जाता है। जड़ों तक पानी पहुंचाने के बाद पानी को फिर से प्यूरिफाई कर दिया जाता है और दोबारा इसे मछली के टैंक में डाल दिया जाता है। इस प्रकार से एक ही पानी, कई बार इस्तेमाल होता रहता है और इस तकनीक से पानी की खपत भी कम होती है। कई लोग इस तकनीक के माध्यम से टैंक में मछली पालन कर उसी में सब्जियां उगाते है, लेकिन इसमें पानी को कुछ दिनों में बदलने की जरूरत पड़ती है।

एक्वापोनिक खेती की कितनी होती है लागत?

एक्वापोनिक खेती को छोटे स्तर पर भी किया जा सकता हैं, लेकिन इसमें लागत का अनुपात अधिक रह सकता है। यदि आप एक एकड़ जमीन पर एक्वापोनिक तकनीक से खेती करते है तो आपको लगभग 2.5 से 3 करोड़ रुपये का खर्चा, इसके इंफ्रास्ट्रक्चर को तैयार करने में आएगा लेकिन, यदि आपके पास 24 घंटे बिजली आपूर्ति है तो यह लागत लगभग 30 फीसदी तक कम हो जाएगी। 1 एकड़ में एक्वापोनिक खेती के लिए प्रतिदिन लगभग 600 यूनिट बिजली की आवश्यकता पड़ती है। अगर इस तकनीक से मछली पालन और खेती एक साथ करने के मुनाफे की बात करें तो इस खेती में मुनाफा तभ होगा, जब आप उच्च क्वालिटी वाले उत्पाद लगाएंगे। इस तकनीक से किया गया उत्पादन पूरी तरह से ऑर्गेनिक होता है तो आपको सामान्य उत्पाद की तुलना में दो से तीन गुना अधिक कीमत मिल सकती है। इस तकनीक में आपको उत्पादन करने से पहले ही उसे बेचने की तैयारी कर लेनी चाहिए। अपने ऑर्गेनिक उत्पाद पर अच्छे दाम पाने के लिए आप बड़े रिटेल स्टोर, रेस्टोरेंट या फाइव स्टार होटलों से भी कॉन्ट्रैक्ट ले सकते है।

एक्वापोनिक खेती के क्या हैं लाभ?

  • इस प्रकार की खेती का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इसमें लगभग 95 फीसदी पानी की बचत की जा सकती है।
  • इस प्रकार की खेती में मछलियों के मल से पौधों को न्यूट्रिशन मिलता है और उनका विकास अच्छे से होता है।
  • इसमें किसी भी प्रकार के कैमिकल का इस्तेमाल नहीं किया जाता है और इसीलिए इस तकनीक से उगाई गई सब्जियां पूरी तरह से ऑर्गेनिक व रसायन रहित होती है।
  • इस तकनीक से पानी की कमी वाली जगह, रेतीली जमीन, बर्फीली या लवणीय जगह पर भी इस प्रकार की खेती की जा सकती है।
  • इस तकनीक के माध्यम से आप सिर्फ एक लेयर की खेती नहीं बल्कि, कई लयेरों पर खेती कर सकते है।

एक्वापोनिक खेती में ध्यान रखने वाली बातें:

  • इस तकनीक से आप कोई भी खेती कर सकते है, लेकिन इसमें आपको विभिन्न प्रकार की खेती के लिए विभिन्न प्रकार इंफ्रास्ट्रक्चर भी बनाने होंगे।
  • आपको मछली पालन, बैक्टीरिया और पौधों की जानकारी होनी चाहिए, यदि ऐसा नहीं है तो पहले किसी विशेषज्ञ से परामर्श ले और फिर इस प्रकार की खेती करें।
  • इस तकनीक में तापमान को 17 से 34 डिग्री तक कंट्रोल करने कि आवश्यकता होती है, यदि ऐसा नहीं होगा तो पौधों को परेशानी हो सकती है।