कार्प मछलियों में होने वाले रोग एवं उनका उपचार

मछली पालन करते वक्त अक्सर मछलियां बीमार पड़ जाती है। मछलियों का उचित इलाज करना बहुत ही महत्वपूर्ण है और इसके लिए आपको मछली में होने वाले रोग के कारणों और लक्षणों को समझना होगा।

मछली में रोग से होने वाले नुकसान:

● मछली का कम विकास और उत्पादन में कमी होना

● फीड की बर्बादी के कारण अधिक खर्च होना

● पानी की गुणवत्ता खराब होना

● मछली की मौत होना

मछली को रोग होने के कारण:

● मछली को ठीक से फीड नही दिया जाता है।

● मछली का अधिक विषाक्त की स्थिति में पालन किया जाता है।    

● मछली का अनुपयुक्त तापमान वाले पानी में पालन किया जाता है।

● मछली को घुलित ऑक्सीजन की कमी के वातावरण में रखा जाता है।

● कुछ जीवों के कारण भी मछली को रोग हो सकता है या फिर आपके तालाब में कोई रोग ग्रस्त मछली उपस्थित हो सकती है।

कार्प मछली में होने वाले प्रमुख रोग:

1.सैपरोलगनियोसिस

लक्षण: शरीर पर रुई के जैसे सफेद या भूरे रंग के गुच्छे दिखाई देना।

उपचार: कॉपर सल्फेट के 1:2000 सान्द्रता वाले घोल में 1:1000 पोटेशियम का घोल मिलाएं और उसमें 1 से 5 मिनट तक मछली को डुबोकर रखे।

2.बैंकियोमाइकोसिस

लक्षण: गलफड़ों का सड़ना, या बार-बार मुंह खोल और बंद करना।

उपचार: तालाब में प्रदूषण कम करने की कोशिश करें और तालाब में मीठे पानी को बढ़ाए या फिर 50-100 कि.ग्रा / हे की दर से चूने का प्रयोग करें या फिर उस तालाब में जिसकी गहराई लगभग 0.5 मीटर हो उसमें 8 कि.ग्रा /हे की दर से कॉपर सल्फेट का प्रयोग करें।

3.ड्राप्सी

लक्षण: आन्तरिक अंगो में पानी का जमाव होना

उपचार: मछलियों को साफ पानी में रखें और उचित मात्रा में फीड दें। 15 दिन के अंतराल में 2 से 3 बार चुने का 100 किग्रा /हे की दर से उपयोग करें।

4.प्कोस्टिएसिस

लक्षण: शरीर एवं गलफड़ों पर छोटे-छोटे धब्बेदार निशान होना।

उपचार: 50 पी.पी.एम. फोर्मलिन के घोल में 10 मिनट तक रोगग्रस्त मछली को डुबोकर रखे।

5.इकथियोपथिरिऑसिस

लक्षण: मछली के शरीर मे श्लेष्मा का स्राव होना या फिर शरीर पर छोटे-छोटे सफेद दाने दिखाई देना

उपचार: 7-10 दिनों तक लगातार, 200 पी.पी.एम. फॉरग्लिन के घोल में मछली को स्नान कराएं।

6.ट्राइकोडिनिओसिस

लक्षण: मछली को  सांस लेने में कठिनाई होती है और वो बेचैन होकर अपने शरीर को तालाब के किनारे से रगड़ती है।

उपचार: मछली को 5-10 मिनट तक 10 पी.पी.एम. कॉपर सल्फेट के घोल में डुबोकर रखे।

7.कोसटिओसिस

लक्षण: मछली के शरीर में स्त्राव होना या उसे सांस लेने में कठिनाई होना

उपचार: मछली को 50 पी.पी.एम. फार्मेलिन के घोल में 5-10 मिनट स्नान कराएं।

मछली में होने वाली बीमारियों को रोकने के लिए कुछ टिप्स:

● पानी की अच्छी गुणवत्ता सुनिश्चित करें।

● तालाब के वातावरण को बनाए रखें।

● मछली को अत्यधिक घनत्व में स्टॉक न करे।

● रोगग्रस्त मछली को जितना जल्दी हो सके तालाब से हटाए।

● रसायनों या दवाइयों का सावधानी से उपयोग करें।

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