जैसे आपके बच्चे का पोषण है जरूरी, वैसे ही नवजात पशु की देखभाल भी है जरूरी, जानिए बछड़ा/बछिया की देखभाल कैसे करें?

हम मानव अपने नवजात बच्चों की देखभाल को लेकर काफी सजग और संंवेदनशील रहते हैं। उनके लिए उचित पोषण से लेकर हर तरह के बेहतर प्रबंध करने को लेकर प्रयासरत रहते हैं। ठीक वैसे ही गाय के नवजात बछड़े-बछिया को उचित पोषण और देखभाल की जरूरत होती है। इसके अभाव में वे बीमारियों की चपेट में आकर कई बार मृत्यु को भी प्राप्त हो जाते हैं। डेयरी फार्म का व्यवसाय करने वालों के लिए इन बछड़ों-बछियों की देखभाल के संबंध में सही जानकारी रखना बेहद आवश्यक होता है।
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चूंकि डेयरी फार्म के व्यवसाय में मुनाफा कमाने के लिए वहां के बछड़े और बछियों की सेहत का ठीक होना बेहद अहम है। एक तरह से अगर देखा जाए तो इन नवजातों के उचित प्रबंधन की कड़ी आपके डेयरी फार्म की सफलता से जुड़ी हुई है।

यदि नवजात बछड़े-बछियों के पोषण में कमी रह जाए तो इसका असर उनके पूरे जीवनकाल में किए जाने वाले दुग्ध उत्पादन पर पड़ता है। जिससे डेयरी फार्म के व्यवसाय में घाटा होने की संभावना बढ़ जाती है। नवजात बछड़े-बछियों को उचित पोषण के साथ देखभाल मिलने पर वह तेजी से विकास करते हैं और इससे उनकी शारीरिक परिपक्वता भी सुदृण रहती है। जिसका लाभ डेयरी फार्म व्यवसायी को भविष्य में देखने को मिलता है।
तो अगर आप डेयरी व्यवसाय से जुड़े हुए हैं या फिर गाय का पालन करते हैं तो आज हम आपको नवजात बछड़े-बछियों के पोषण से जुड़ी कुछ अहम बातें बताने जा रहे हैं जिन्हें अपनाने के बाद आपके बछड़े-बछिया एक स्वस्थ जीवन पा सकेंगे।

जानिए बछड़े-बछियों के जन्म के बाद क्या-क्या सावधानियां बरतें
बछड़े /बछिया के जन्म लेने के तुरंत बाद ही उनके नाक एवं मुंह को साफ करें।
बछड़े /बछिया की छाती पर धीरे -धीरे मालिश करें ताकि वह आसानी से सांस ले सके। बछड़े /बछिया का पूरा शरीर अच्छी तरह साफ करें।
मुंह के अंदर दो अंगुलियाँ डाले और उनकी जीभ पर रखें, जो बछड़े /बछियों को दूध पीना आरम्भ करने में मदद करेगी।
नवजात बछड़े /बछिया को सुरक्षित वातावरण में रखें।

नाल को दो इंच की दुरी पर धागे से बांध दें। बची हुई नाल को साफ कैंची से काट कर उसमें टिंचर आयोडीन लगायें ताकि नाभी को संक्रमण से बचाया जा सके।
जन्म के आधे घंटे के भीतर, नवजात पशु को खीस पिलाएं।
2 महीनों तक बछड़े /बछिया को संपूर्ण दूध प्रतिस्थापक देना चाहिए।
तीसरे सप्ताह के दौरान कृमिनाशक दवा दें। उसके बाद तीसरे और छठे माह की उम्र में देना चाहिए।
दूसरे सप्ताह से बछड़े /बछिया को अच्छी गुणवत्ता वाली सूखी घास और शिशु आहार (काल्फ स्टार्टर) खिलाना चाहिए।

जानें नवजात बछड़े-बछियों को क्या खिलाएं
छोटे बछड़े / बछियों को कम से कम दो महीनों तक रोज दो लीटर दूध पिलाया जाना चाहिए। जिसकों धीरे- धीरे अच्छी गुणवत्ता वाले शिशु -आहार (काल्फ स्टार्टर ) से बदलना चाहिए। दुग्ध उत्पादक इस दूध प्रतिस्थापक एक किफायती वैकल्पिक आहार हो सकता है। जिसमें स्किम मिल्क पाउडर, सोयाबीन की खली, मूंगफली की खली, खाने के तेल, अनाज, विटामिन, खनिज मिश्रण, संरक्षक पदार्थ आदि सम्मिलित होता हैं।
दुग्ध प्रतिस्थापक से बनाये गए पुनर्गठित दुग्ध की कीमत की एक तिहाई होती है। पुनर्गठित दुग्ध प्रतिस्थापक में दूध के समान लगभग सभी आवश्यक पौष्टिक तत्व होते है। यदि एक बछड़े-बाछियों को सम्पूर्ण दूध के स्थान पर दो लीटर पुनर्गठित दूध पिलाया जाये तो किसान प्रति बछड़े-बछियां प्रति दिन पर्याप्त राशि से बचा सकता है।

जानिए पैदा होने से लेकर छह महीने तक किस तरह का आहार दें अपने बछड़े-बछिया को
नवजात बछड़े-बछिया को खीस पिलाने के बाद एक लीटर पुनर्गठित दूध को एक लीटर सम्पूर्ण दूध के साथ पिलाना चाहिए। धीरे-धीरे सम्पूर्ण दूध को हटा देना चाहिए और एक महीने की उम्र तक पुनर्गठित दूध को बढ़ा कर दिन में दो लीटर कर देना चाहिए, जिसे दो महीने की आयु तक जारी रखना चाहिए।
दूसरे सप्ताह से अच्छी गुणवत्ता वाली सूखी घास एवं काल्फ स्टार्टर को भी खिलाना चाहिए, जोकि रुमेन (जुगाली करने वाले पशुओं का पहला पेट) के शीघ्र विकास और वांछित विकास दर को प्राप्त करने में मदद करेगा।

शिशु आहार (काल्फ स्टार्टर ) पिसे अनाज, प्रोटीन पूरक, खनिज और विटामिन्स का संतुलित मिश्रण होता है। बछड़े-बछियां को अधिकतम मात्रा में काल्फ स्टार्टर खिलाने का प्रयास करना चाहिए। जिससे उनकी वृद्धि दर बढ़ेगी। यदि भूखे बछड़े-बछियां को सूखा भूसा-घास खिलाया जाता है तो उनकी काल्फ स्टार्टर और अच्छी गुणवत्ता वाली फलीदार सूखी घास खिलाने से रुमेन पेपिलों का शीघ्र विकास होता है।
जोकि रुमेन के कार्य के लिए अति आवश्यक है। जिससे आरंभिक आयु में चारे के बहुत बड़े भाग को पचाने में सहायता मिलती है। लगभग छह महीनों के पश्चात काल्फ स्टार्टर को काल्फ ग्रोथ मील से बदलना चाहिए जो बढ़ते हुए बछड़े / बछियों के लिए अधिक किफायती है।
तो इस तरह से इन कुछ बातों का ध्यान रखकर आप नवजात बछड़े-बछिया को उचित पोषण प्रदान कर उन्हें स्वस्थ रख सकते हैं।
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