झारखंड में मछली पालन को लेकर सरकार ने बढ़ाए कदम

झारखंड में मछली पालन को लेकर सरकार ने बढ़ाए कदम

झारखंड, मछली पालन मूल रूप से कृषि का ही एक प्रकार होता है। सरकार के फैसले के बाद कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग ने मछली पालन को भी कृषि का दर्जा देने से संबंधीत विकल्प जारी कर दिया है। मछली पालन को कृषि का दर्जा मिल जाने से मछली पालक वह सारी सुविधाओं का लाभ उठा पाएंगे जो एमी किसानों को सरकार द्वारा दी जाती है। झारखंड में ऐसे हजारों प्रगतिशील किसान है जो मछली पालन कर बहुत अच्छी आय प्राप्त कर रहे है। सरकार भी लोगों को प्रोत्साहन देने के लिए निजी तथा सरकारी तालाबों में मछली पालन को बढ़ावा दिया जा रहा है। झारखंड में मछली उत्पादन में लगातार हो रही वृद्धि को देखते हुए राज्य सरकार ने झारखंड को मत्स्य उत्पादन में अग्रणी राज्य बनाने के लिए वित्तीय वर्ष 2021-22 में 2 लाख 65 हजार मीट्रिक टन मछली उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया है।

वित्तीय वर्ष 2021-22 में सरकार ने 80 एकड़ पर रियरिंग तालाब का लक्ष्य

राज्य सरकार ने वित्तिय वर्ष 2020-21 में मछली उत्पादन का लक्ष्य 2 लाख 40 हजार मीट्रिक टन रखा था। इस लक्ष्य के चलते जनवरी 2021 तक 1 लाख 90 हजार 425 मीट्रिक टन मछली का उत्पादन हो चुका है। मछली बीज का उत्पादन का लक्ष्य वित्तीय वर्ष 2020-21 में 1000 करोड़ तय किया गया था लेकिन यह अब तक 50 लाख से भी अधिक 1050.03 करोड़ मछली बीज का उत्पादन हो चुका है। वर्ष 2021-22 में सरकार ने 1100 करोड़ मछली बीज उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया है। सरकार ने मछली पालन के लिए रियरिंग तालाब का निर्माण वित्तीय वर्ष 2020-21 में 62 एकड़ में करने का लक्ष्य रखा था। अब तक सरकार 58 एकड़ में रियरिंग तालाब का निर्माण करवा चुकी है। वित्तीय वर्ष 2021-22 में सरकार ने 80 एकड़ पर रियरिंग तालाब का निर्माण करवाने लक्ष्य रखा है।

मछली पालन के अंतर्गत सरकार द्वारा दी जाने वाली सुविधाएं

मछली पालकों को किसान क्रेडिट कार्ड, बैंक से लोन की सुविधा एवं प्रीमियम दर पर बीमा का लाभ सरकार की ओर से दिया जा रहा है। मछली पालकों को प्रसंस्करण इकाइयों की कृषि दर पर बिजली की आपूर्ति भी कराई जाएगी। मछली पालन की सहायक इकाई जैसे मत्स्य फीड उत्पादन के लिए मिल व मत्स्य प्रसंस्करण के लिए उपकरणों को प्राथमिकता क्षेत्र घोषित कर वित्तीय संस्थाओं को अधिक से अधिक ऋण करने के लिए प्रेरित किया जाएगा। राज्य सरकार द्वारा उपरोक्त सुविधाओं को उपलब्ध कराने के लिए सभी संबंधित विभागों को 30 दिन के अंदर अपने स्तर पर अपेक्षित आदेश निर्गत करने का निर्देश भी दिया गया है।

1,44,438 लाख मछली स्पान का किया गया संचय

राज्य की कुल आबादी का 60 प्रतिशत से भी अधिक, लगभग दो करोड़ से अधिक लोग मछली को आहार के रूप में खाना पसंद करते है। राज्य के जल क्षेत्रों में परंपरागत मछली पालन को विकसित कर अब वैज्ञानिक तरीके से मछली पालन किया जा रहा है। झारखंड, राज्य के 7390 मत्स्य मित्र और मत्स्य बीज उत्पादकों के माध्यम से मत्स्य बीज के उत्पादन की ओर बढ़ रहा है। इनके जरिए लगभग 1,44,438 लाख मछली स्पॉन संचयन किया गया है। जलाशयों में मछली मारने वाले स्थानीय विस्थापित मछुआरों के लिए अब तक 349.24 लाख मेजर कार्प एवं 81 लाख ग्रास कार्प मत्स्य अंगुलिकाओं का संचय किया गया है। इससे मछुआरों को अधिक मछलियां उपलब्ध हो सकेंगी।

सरकार द्वारा फ्लोटिंग फिश फीड पर 50 प्रतिशत अनुदान

मछली के उत्पादन में अतिरिक्त वृद्धि हो, इसलिए फीड बेस्ड फिशरीज को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। मछली पालकों को राज्य सरकार द्वारा प्रक्रिया अनुरूप 50 प्रतिशत अनुदान पर फ्लोटिंग फिश फीड भी उपलब्ध कराया जा रहा है। मछली बीज उत्पादन एवं मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए राज्य के निजी क्षेत्र में 62 एकड़ नए मछली के रेयरिंग तालाबों का निर्माण भी किया जा रहा है।