झींगा मछली निर्यात के मामले में भारत फिर बन सकता है नंबर वन, जानिए झींगा मछली पालन जुड़ी बातें

झींगा मछली निर्यात के मामले में भारत फिर बन सकता है नंबर वन, जानिए झींगा मछली पालन जुड़ी बातें

पानी की उपलब्धता वाले क्षेत्रों के मछली पालन का व्यवसाय भारत में काफी तेजी से विकसित हुआ है और पिछले कुछ वर्षों में झींगा मछली पालन भी देश में काफी लोकप्रियता से बढ़ा है। भारत फिर से झींगा मछली के निर्यात में नंबर वन बन सकता है और उम्मीद भी जताई जा रही है कि इस साल यानी 2021 में भारत द्वारा झींगा मछली का निर्यात 20 प्रतिशत बढ़कर लगभग 4.3 अरब डॉलर के आस पास पहुंच सकता है। यह दावा रेटिंग एजेंसी क्रिसिल की एक रिपोर्ट में किया गया है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2020 में भारत दूसरे स्थान पर आ गया था लेकिन वर्ष 2021 में भारत, झींगा निर्यात वैश्विक स्तर पर एक फिर से नंबर वन की पोजीशन को प्राप्त कर सकता है। वर्तमान में एक्वाकल्चर की दुनिया में झींगा निर्यात शीर्ष पर है। झींगा मछली खाने में स्वादिष्ट होने के साथ-साथ पोषक तत्वों की भरपूर भी होती है और इसी वजह से इसकी विदेशों में बहुत अधिक मांग है। बाजार में इसकी कीमत 350 से 400 रुपये प्रति किलो के बीच हो सकती है।

झींगा मछली का उत्पादन करने वाले प्रमुख राज्य

झींगा मछली पालन के लिए खारा पानी अनुकूल माना जाता है और भारत में झींगा मछली पालन के लिए अनुमानित खारा पानी करीब 11.91 लाख हेक्टेयर के क्षेत्रफल में फैला हुआ है और यह 10 से भी अधिक राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश में मौजूद है। पश्चिम बंगाल, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, पांडिचेरी, केरल, कर्नाटक, गोवा, महाराष्ट्र और गुजरात में प्रमुख रूप से झींगा मछली पालन किया जा रहा है। झींगा मछली की कई सारी प्रजातियां पाई जाती हैं और इनमें कुछ समुद्री हैं, कुछ खारे पानी में जीवित रहती है तो कुछ केवल मीठे पानी के स्रोतों में ही जीवित रह सकती हैं। झींगों मछली की लंबाई लगभग 10 सेमी होती है और यह वजन में 250 ग्राम तक की होती है। व्यापारिक महत्व के हिसाब से अगर देखा जाए झींगा मछली की 70 प्रजातियां होती हैं।

वैश्विक झींगा निर्यात में भारत आगे

वैश्विक झींगा निर्यात व बिक्री के मामले में भारत, इक्वाडोर और वियतनाम की हिस्सेदारी लगभग 55 फीसदी है। गुणवत्ता और रोग नियंत्रण पर विशेष ध्यान देने और अमेरिका से भी अधिक उपयुक्त व विशिष्ट रोगाणु मुक्त झींगा मछली के बीज स्टॉक को अपनाने के कारण, भारत पिछले एक दशक में एक झींगा निर्यातक के रूप में बहुत अच्छे से3 उभरा है। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के उत्पादकों को राज्य सरकार द्वारा बनाए गए जलीय कृषि के क्षेत्रों, बिजली और पूंजी के लिए दी जाने वाली सब्सिडी से भी लाभ मिला है।

सरकार चला भीबड़े रही साथ, चलाई जा रही है ब्लू रिवॉल्यूशन स्कीम

केंद्र सरकारों द्वारा मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए ब्लू रिवॉल्यूशन स्कीम को भी चलाया जा रहा है। सरकारों ने प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना की भी शुरुआत की है और इस योजना के तहत 20,050 करोड़ रुपये का फंड भी बनाया गया है। यह मछली पालन के क्षेत्र में अब तक का सबसे बड़ा फंड भी है।  इस योजना के अंतर्गत मछली पालक, मछली बेचने वाले, स्वयं सहायता समूह, मत्स्य उधमी और मछली पकड़ने वाले लोग आवेदन दे सकते हैं।

अधिक कमाई का ज़रिया है झींगा मछली पालन

देश के तटीय इलाकों में करीब 1,70,000 हेक्टेयर में झींगे मछली पालन किया जाता है और इससे सालाना 4 लाख टन की पैदावार होती है। इसी के साथ आंध्र प्रदेश का इसमें बहुत ही अहम हिस्सा है। झींगा पालन करने वाले किसान अपनी परेशानियों को दूर करने के लिए धीरे धीरे आधुनिक तकनीकों को अपना रही हैं। अगर आप भी झींगा मछली पालन कर अधिक कमाई करना चाहते है तो आज ही एग्रीगेटर संघ से जुड़ें।