जानिये महाराष्ट्र के नितेश जाधव ने बायोफ्लॉक तकनीक से कैसे किया एक उच्च लाभ वाला व्यापार स्थापित

नितेश जाधव पुणे जिले के चकन गांव से है। चकन गाँव मे उन्होंने बायोफ्लॉक तकनीक से अपना मछली पालन का व्यापार स्थापित किया है। शुरुआत में नीतीश जी ने ४ टैंक का निर्माण कर उनसे लाभ उठाया। जब उन्हें इससे अच्छा लाभ होने लगा तो उन्होंने अपने व्यापार को बायोफ्लॉक तकनीक से आगे बढ़ाना सही समझा। आज इस तकनीक की मदद से वह अपना ४ से १० टैंक में मछली पालन करते है। उन्होंने बताया कि उनके प्रति टैंक की क्षमता अब १.२ लाख लीटर पहुंच गई है, इसी के साथ उनकी उत्पादन की क्षमता बढ़कर १० टन हो चुकी है। अब वह ३००० वर्ग फुट के क्षेत्र में मछली पालन कर अपने व्यापार को आगे बढ़ा रहे हैं। वह कहते हैं कि "तालाब में मछली पालन के लिए पानी की आवश्यकता अधिक होती है और वहीं अगर किसी व्यक्ति के क्षेत्र में पानी की कमी है तो वह बायोफ्लॉक तकनीक के द्वारा टैंक का निर्माण करवा कर मछली पालन आसानी से कर सकता हैं। बायोफ्लॉक तकनीक में एरोबिक बेटीरिया द्वारा मछलियों के मल को प्यूरीफायर किया जाता है जिससे मछलियों का २० प्रतिशत मल प्रोटीन में बदल जाता है।

उन्होंने यह भी बताया कि तालाब में अधिक मछलियों का पालन करने से ऑक्सीजन का स्तर कम हो जाता है जिस कारण मछलियां मरने लग जाती है। बायोफ्लॉक तकनीक से कम जगह और कम जल में मछली पालन कर आज नितेश जी सालाना ८ लाख रुपए का मुनाफा कमाते हैं। नितेश जी का कहना है कि उन्हें अपने व्यापार के लिए मार्केट जाने की आवश्यकता नहीं होती क्योंकि ग्राहक खुद चलकर हमारे फार्म तक आते हैं।

बायोफ्लॉक तकनीक से कोई भी व्यक्ति केवल एक टैंक का निर्माण करवाकर मछली पालन कर सकता है, अगर आप भी नितेश जी जैसे ८ लाख रुपये का सालाना मुनाफ़ा कमाना चाहते है और मछली पालन करना चाहते है तो आज है एग्रीगेटर संघ से जुड़े।