क्या आपके पशु को लगती है भूख कम? जान लीजिए इसके कारण और समाधान

क्या आपके पशु को लगती है भूख कम? जान लीजिए इसके कारण और समाधान
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धरती पर मौजूद किसी भी जीव के लिए भोजन से जरूरी शायद ही दूसरी कोई चीज हो लेकिन क्या हो अगर भूख लगनी ही कम हो जाए या बंद हो जाए। जाहिर सी बात है यह इंसान हो या पशु किसी के लिए भी बीमारी या किसी शारीरित कमी का संकेत है। अब चूंकि पशु मनुष्य की तरह अपनी समस्याएं बोलकर बता पाने में समर्थ नहीं होते हैं। ऐसे में पशुपालक अपने पशु के व्यवहार और गतिविधियों से उनकी बीमारियों का पता लगाते हैं।

अगर समय रहते पशुओं की इस बीमारी को चिन्हित कर इसका समाधान ना किया जाए तो समय बीतने के साथ-साथ यह एक गंभीर बीमारी में तब्दील हो सकती है। और जाहिर सी बात है कि यदि पशुपालक का पशु ही बीमार होगा तो उसे उस व्यवसाय में मुनाफे की जगह घाटे का सामना करना पड़ेगा। जानकारों के मुताबिक पशुओं में भूख के अभाव को एनोरेक्सिया कहा जाता है।

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कई बार देखा गया है कि पशुओ में एनोरेक्सिया पूर्णता या आंशिक रुप में पाया जाता है। तो इसे लेकर पशुपालको को भ्रमित नहीं होना चाहिए। इस बीमारी में पशु किसी खास तरह के भोजन को नापसंद करने लगते हैं और फिर धीरे-धीरे उनका शरीर उस विशेष प्रकार के भोजन को पचाने की स्थिति में नहीं रहता है। जिस वजह से पशुओं में अन्य समस्याएं भी बढ़ने लगती हैं।

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जानिए पशुओं को भूख ना लगने के कुछ प्रमुख कारण

कुछ विटामिन और मिनरल की कमी भी आपके मवेशियों की भूख कम होने का कारण और आपके नुकसान का कारण हो सकता है। मवेशियों के आहार में सबसे आम खनिजों की कमी कोबाल्ट है। जहां विटामिन बी 12 में कोबाल्ट पाया जा सकता है। कोबाल्ट के निम्न स्तर वाली गायों से भूख में उल्लेखनीय कमी आएगी। लेकिन एक बार जब आप कोबाल्ट को अपने आहार में शामिल करते हैं, तो उनकी भूख वापस सामान्य हो जाएगी।

यदि आपका मवेशी, विशेष रूप से गाय, अपने लैक्टेशन (दुद्ध निकालना) का प्रारंभिक/ शुरुआती चरण में भूख की हानि दिखाता है, तो यह गोजातीय कीटोसिस और अपच के कारण हो सकता है। गोजातीय कीटोसिस एक विकार है जो मवेशियों में होता है ऊर्जा का सेवन अधिक होता है इसलिए नकारात्मक ऊर्जा संतुलन होता है। केटोसिस के कारण गायों में रक्त शर्करा की मात्रा कम होती है।

जिन गायों में कीड़ा होते है, वे स्वत: अधिक नहीं खाती हैं। जैसा कि हम जूं संक्रमणों को देख सकते हैं। यह एक अनदेखी समस्या है जिसे देखा जा सकता है यदि हम अपनी गायों को बारीकी से देखते हैं।

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इसे लोग ‘ लाल-नाक रोग’ कहते हैं, गाय की नाक लाल और कच्ची हो जाती है । उस लालिमा का कारण क्योंकि जानवर लगातार श्लेष्म निर्वहन से छुटकारा पाने के लिए अपनी नाक रगड़ते हैं। इस स्थिति से उन्हें भूख कम लग सकती है और बुखार भी हो सकता है। यह बीमारी संक्रामक है, इसलिए आपको संक्रमित गायों को दूसरों से अलग करने की जरूरत है ताकि वे इसे समूहों में फैलने से रोक सकें।

गोजातीय श्वसन रोग जिसे शिपिंग बुखार कहा जाता है। यह जानवरों को भेज दिए जाने के ठीक बाद यह समस्या होती है। यह बीमारी एक निमोनिया की तरह है जो जानवरों को तनाव के कारण अनुभव होती है। कई कारक पूरी तरह से गायों के लिए हुए थे और यह उन्हें अत्यधिक तनाव में रखता है। इस बीमारी के कारण सांस की तकलीफ, बुखार, नाक बह रही है और भूख कम लगती है।

तो इन लक्षणों को अपने पशु में पहचानकर आप पशु चिकित्सक से उचित सलाह लेकर इस समस्या का निदान कर सकते हैं। वहीं अगर आप अपने पशुओं से जुड़ी किसी समस्या के लिए उचित निशुल्क परामर्श चाहते हैं तो आप ई फीड एप अपने मोबाइल में इंस्टाल कर हमसे जुड़ सकते हैं।

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