असम के लोगों से सीखें आपदा में भी मछली पालन करने का हुनर

असम के लोगों से सीखें आपदा में भी मछली पालन करने का हुनर

उत्तर व मध्य भारत फिरनी गांव में आपदा के वक्त या तो पशु बांधे जाते हैं या किचन गार्डन बनाए जाते है लेकिन ये लोग वहां तालाब बनाकर मछली पालन करते है। वहां पर किचन गार्डन की जगह आंगन में मछली की उछल-कूद देखने को मिलती है। असम में मछली को अपने भोजन में इस्तेमाल करने वाली संख्या 50 प्रतिशत से भी ज्यादा है।

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आपदा में कैसे करते है मछली पालन:

आपदा में अवसर कैसे ढूंढे इसका  फार्मूला असम के लोगों से सीखा जा सकता है। यहां के लोगों के उत्साह और हिम्मत के सामने रुलाने वाली बाढ़ भी वरदान का रूप है। गांव में रहने वाले लोग पहले से बने तालाब के अलावा, मानसून आने से पहले छोटे नए तालाब बनाकर छोड़ देते हैं और जब भी बाढ़ आती है तो उसमें पानी भर जाता है। इसी तरीके से वहां आपदा में मछली पालन किया जाता है।

मछली उत्पादन से जुड़ी जानने योग्य विशेष बातें:

  • बीते चार वर्षो में चार प्रतिशत मछली उत्पादन बड़ा है।
  • वित्त वर्ष 2019-20 में 3.35 लाख मीट्रिक टन मछलियों का उत्पादन हुआ।
  • लॉकडाउन के समय असम फिश फीड एजेंसी ने 180 करोड़ रुपये की मछलियां बेची थी।
  • वर्ष 2019 में भारत ने 47 हजार करोड़ रुपये की मछलियां एक्सपोर्ट की थी।
  • असम के लोग अब मछली के मामले में आत्मनिर्भर हो चुके है और मछली पालन में असम कई पुरस्कार भी जीत चुका
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