मछली पालन में तालाब का प्रबंधन कैसे करें

मछली पालन में तालाब का प्रबंधन कैसे करें

मछली पालन मे तालाब का प्रबंधन करना बहुत ही अधिक महत्वपूर्ण होता है। मछली पालन के लिए वर्षा काल से पूर्व तालाब निर्माण करवाना चाहिए। खोदी हुई मिट्टी को तालाब के आकार के अनुसार चारों ओर बन्धों को बनाने के उपयोग में लियाया जा सकता है। बन्धों की ऊँचाई 12 से 1.5 मी. के बीच होनी चाहिए। तालाब का निर्माण करवाने के बाद तालाब प्रबंधन करण चाहिए। तालाब प्रबंधन करने की प्रक्रिया नीचे निम्नलिखित है।

1. तालाब में से अनावश्यक पौधों को निकालें:

तालाब में कुछ पौधे ऐसे भी होते है जिनका मछली अपनी खुराक के रूप में प्रयोग करती है। तालाब में क्षेत्र फल के 1/3 हिस्से तक पौधों का होना विशेष रूप से हानिकारक नहीं होता है लेकिन तालाब में अगर बहुत अधिक मात्रा में पौधे हो तो उन्हें हटा देना चाहिए। यदि तालाब से अनावश्यक पौधों को समय न निकाल जाए तो तालाब दल-दल का रूप ले सकता है।

तालाब से अनावश्यक पौधों को निकालना क्यों आवश्यक है :

  1. अनावश्यक पौधे पानी में एक बड़ा हिस्सा घेरे रहते है जिससे मछली को अपने नियमित जीवन के लिए घूमने-फिरने में परेशानी आती है।
  2. अनावश्यक पौधे सूर्य की किरणों को पानी के अंदर पहुचने में बाधा उत्पन्न करते हैं और इस वजह से मछली की प्राकृतिक खुराक का उत्पादन कम हो जाता है और खुराक की कमी से मछली का विकास भी धीमा हो जाता है।
  3. अनावश्यक पौधे मछली की कटाई करते समय जाल चलाने में रुकावट पैदा करते है।

तालाब से अनावश्यक पौधों और जीव-जंतुओं और को निकालने के तरीके निम्नलिखित है:

  1. मानव शक्ति द्वारा बार-बार जाल चलाकर इन्हें बाहर निकाला जा सकता है।
  2. रासायनिक पदार्थों का प्रयोग करके भी इन्हें खत्म किया जा सकता है लेकिन अत्याधिक रासायनिक पदार्थों से तालाब का पानी जहरीला हो जाता है।
  3. जलीय जीव-जंतुओं को हटाने के लिए महुआ खली का प्रयोग किया जा सकता है। यह तालाब में खाद का कार्य भी करती है।

2. तालाब में पानी के पी.एच. की जांच करें:

अधिक क्षारीय पानी मत्स्य उत्पादन के लिए उपयुक्त नहीं होता है। तालाब के पानी का पी.एच. चूने के प्रयोग करके सुधारा जा सकता है। तालाब में चुने का प्रयोग करने से पहले पानी की जांच कर लेना बहुत ही आवश्यक है और यदि पानी की पी.एच. कम हो तो तालाब में बुझा हुआ चूना डालना चाहिए। इसके अतिरिक्त चूने का प्रयोग करने से तालाब मे पानी के अंदर मौजूद कई प्रकार के कीटाणुओं का नाश भी हो जाता है और तालाब में स्वच्छता बनी रहती है।

3. तालाब में अम्लीय मिट्टी का सुधार करने के लिए चुने का प्रयोग करें:

(चूने की मात्रा कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर है।)

  • 4.0 से 4.5 = 1000
  • 4.6 से 5. 5  = 700
  • 5.6 से 6.5 = 500
  • 6.6 से 7.0 = 200

4. तालाब में रासायनिक व अरासायनिक खाद का प्रयोग करें:

मछली पालन में रासायनिक व अरासायनिक खाद का प्रयोग तालाब में पानी भरने के बाद करना बहुत आवश्यक होता है। अच्छे उत्पादन के लिए यह आवश्यक है कि तालाब में उन सभी प्रकार के रासायनिक व अरासायनिक खादों का प्रयोग किया जाए जो मछली के विकास के लिए आश्यक हो। आमतौर पर तालाब में खाद का प्रयोग मछली के बीज का संचय करने से दो या तीन सप्ताह पूर्व ही शुरू कर दिया जाता है।

तालाब में खाद डालते समय ध्यान रखने वाली बातें:

  • गोबर की खाद 10000 से 12000 कि.ग्रा . प्रति है . प्रति वर्ष 7 से 11 किस्तों में डालनी चाहिए।
  • रासायनिक खाद के रूप में अमोनिया नाईट्रेट 1131 के अनुपात में 1380 कि.ग्रा . से 1725 कि.ग्रा. प्रति वर्ष की दर से 4 से 10 किस्तों में डालना चाहिए।
  • मुर्गी की खाद 500 कि. ग्रा. प्रति हेक्टेयर व प्रति तिमाही की दर से व 100 कि. ग्रा. प्रति हेक्टेयर की दर से ट्रिपल सुपर फास्फेट डालना चाहिए।
  • मछली के बीज डालने के पश्चात गोबर की खाद का तालाब की सतह पर छिड़काव नहीं करना चाहिए।

5. मछली पालन में तालाब प्रबंधन के लिए कुछ टिप्स:

  1. तालाब से अनावश्यक पानी के पौधों को निकालना चाहिए।
  2. तालाब से अवांछनीय जीव-जन्तुओं और भक्षक मछलियों को निकालना चाहिए।
  3. तालाब के पानी का पी.एच. नियंत्रित रखना चाहिए।
  4. तालाब में उचित मात्रा में रासायनिक खाद व जैविक खाद डालनी चाहिए।
  5. तालाब में उचित मात्रा में पालने योग्य मछली के बीज डालने चाहिए।
  6. तालाब में मछलियों को  उचित मात्रा में कृत्रिम भोजन प्रदान करना चाहिए और मछलियों के विकास का निरक्षण करना चाहिए।
  7. तालाब से बेचने योग्य मछलियों की कटाई समय पर करनी चाहिए।