मुर्गी पालन करने की सोच रहे हैं तो इस तरह की मुर्गियों को पालें, बीमारी का खतरा होता है कम, बाजार में महंगे दामों पर है डिमांड

अगर मुर्गी पालन व्यवसाय के इतिहास में जाएं तो पता चलता है कि यह व्यवसाय करीब 5000 वर्षों से चला आ रहा है। समय बदलने पर आज भी यह व्यवसाय कायम है। हालांकि तेजी से बदलते जमाने में अब इस व्यवसाय में लागत और मुनाफे का स्तर बढ़ता जा रहा है। वर्तमान समय में मुर्गी पालन करने वाले लोगों के सामने मुर्गियों समेत मुर्गी फार्म में फैलने वाली बीमारियों किसी चुनौती से कम नहीं हैं। ऐसे में आज हम आपको मुर्गी की एक ऐसी नस्ल के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसका पालन करने पर बीमारियों का खतरा कम रहता है, साथ ही बाजार में भी इस तरह की मुर्गियां की डिमांड हमेशा बनी रहती है।

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देसी मुर्गी मुर्गियों की एक ऐसी प्रजाति है जिसकी मांग हमेशा बनी रहती है और इन मुर्गियों में बीमारियां होने का खतरा भी कम रहता है।

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जानिए देसी मुर्गी पालन के कुछ फायदे

  • देसी मुर्गा की मांस बहुत ही स्वादिष्ट और पौष्टिक होता है।
  • इसकी बाजार में अन्य मांस की तुलना में सबसे अधिक डिमांड है।
  • ये बाजार में महंगे दाम पर बिकते हैं।
  • किसान इसे बैकयार्ड मुर्गी पालन के रूप में भी कर सकते हैं।
  • गरीब किसानों के कमाई का जरिया बन सकता है।
  • देसी मुर्गियों को कम लागत में पाल सकते हैं।
  • किसानों की आमदनी बढ़ाने का अतिरिक्त साधन बन सकता है।
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एक सर्वेक्षण के अनुसार भारत में मुर्गियों की संख्या तकरीबन 648 मिलियन से भी अधिक है। जिसमें हमारे सबसे अधिक 45% देसी मुर्गी पालन किया जाता है। आज लगातार बढ़ते महंगाई के दौर में जिस तरह से हर एक व्यापार में लोगों में प्रतिस्पर्धा है उस समय भी देसी मुर्गी पालन  व्यापार में मुर्गों का दाम नहीं घटता है।

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देसी मुर्गियों में ही ऐसा गुण होता है जिनसे एक ही चूजे से मांस और अंडा दोनों मिलता है जोकि ज्यादा लाभदायक हो सकता है। देसी मुर्गे की मल-मूत्र से मिट्टी की क्षमता भी बढ़ती है।

बाजार में देसी मुर्गे के मांस 300 से 350 रु किलों मे बिकता है जबकि जब हम इनके अंडो कि बात करें तो वह प्रति 10 रुपये की हिसाब से बिकता जाता है। इसे हम छोटे स्तर पर भी शुरु कर सकते है।

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