पंगेसियस मछली का पालन कैसे करें

पंगेसियस (पंगास) मछली का पालन करने से अपनी आय को दोगुना कर सकते है। भारत मे पंगेसियस (पंगास) मछली का सबसे बड़ा उत्पादक आंध्रप्रदेश है। पंगेसियस मछली के बारे में जानकारी:
- पंगेसियस (पंगास) मिठे पानी में पाली जाती है। यह मछली दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी प्रजाति है।
- इस मछली का शरीर शल्क रहित होता है, सिर छोटा और मुंह बड़ा होता है, इसके शरीर पर काली लकीरें होती है और इसकी आंखे बड़ी होती है।
- इसकी बार्वेल्स (मूँछें) दो जोड़ी है जिसमें से ऊपरी बार्वेल्स (मूँछ) निचली बार्वेल्स (मूँछ) से बड़ी होती है।
- यह मछली 6 से 8 माह में 1.0 से 1.5 किलोग्राम की हो जाती है।
- यह मछली वायुश्वासी है, इसलिए इसमें कम घुलित ऑक्सीजन वाले पानी को सहन करने की क्षमता होती है।
- इस मछली की रोग निरोधक क्षमता अन्य मछलियों की अपेक्षाकृत अधिक होती है।
- इस मछली के शरीर मे काँटे कम होते है जिस वजह से इसे प्रसंस्करण के लिए बहुत ही अच्छा माना जाता है।
- इसका भारतीय मुख्य कार्प मछली के साथ आसानी से पालन किया जा सकता है।
पंगेसियस (पंगास) मछली पालन के लिए तालाब का निर्माण कैसे करें:
- पंगेसियस (पंगास) मछली के लिए तालाब की चौड़ाई कम और लंबाई ज्यादा होनी चाहिये।
- तालाब का आकार आधे हेक्टेयर से एक हेक्टेयर के बीच होना चाहिए।
- तालाब की गहराई 6 से 8 फ़ीट होनी चाहिए और पानी 6 फिट से ज्यादा नहीं होना चाहिए क्योंकि यह मछली पानी के अंदर रहेगी मगर यह वायुमंडल से ऑक्सीजन लेने के लिए बार-बार तालाब के ऊपर आएगी।
- यदि तालाब में पानी ज्यादा गहरा होगा तो यह मछली बार-बार ऊपर आएगी और नीचे जाएगी जिस कारण इसकी ऊर्जा ज्यादा खपत होगी और इससे इसकी वृद्धि कम होगी।
- हेक्टेयर के तालाब में आप 40 से 50 हज़ार फिंगर्लिंग्स संचय कर सकते है, एक एकड़ के तालाब में आप करीब 15 हज़ार फिंगर्लिंग्स संचय कर सकते है।
- तालाब के पानी का तापक्रम 26 से 30 डिग्री सेल्सियस के बीच होना चाहिए, पानी का पी.एच लेवल करीब 6.5 से 7.5 होना चाहिए और अमोनिया 0.5 पी.पी.एम से ज्यादा नहीं होना चाहिए, ऑक्सीजन 5 पी.पी.एम से कम नहीं होना चाहिए।
- हेक्टेयर तालाब में लगभग 1 हजार किलोग्राम गोबर की खाद डालें या फिर 1 हेक्टेयर के तालाब में 4 किलोग्राम यूरिया, 4 किलोग्राम पोटाश और 6 किलोग्राम सिंगल सुपर फास्फेट हर तीन माह में तालाब के अंदर डालें।
पंगेसियस (पंगास) मछली की फीड:
पंगास मछली पूरक आहार पर निर्भर रहती है। प्रारंभिक अवस्था में यह मछलि तालाब में मौजूद काई और घोंघें को भोजन के रूप में ग्रहण करती है। जब यह मछली बड़ी होती है तो यह सर्वभक्षी हो जाती है और तालाब में पूरक आहार को खाने लगती है, अगर तालाब में प्राकृतिक भोजन रहता है, तो पूरक आहार में काफी कम खर्च आता है। पूरक आहार के रूप में फैक्ट्री फार्मूलेटेड फ्लोटिंग फीड सर्वोत्तम होता है और इसके उपयोग से वंचित उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। इसकी वृद्धि के लिए सर्वोत्तम भोजन पानी की सतह पर तैरने वाला होता है। फ्लोटिंग फीड इस मछली के लिए ज्यादा उपयुक्त भोजन है। भोजन में अधिक प्रोटीन युक्त पदार्थ का उपयोग किया जाता है।
पंगेसियस (पंगास) मछली का पालन करते वक्त ध्यान में रखने वाली बातें:
- पूरक आहार के रूप में दिये जाने वाले प्रतिदिन के फीड को एक ही बार में न दें बल्कि उसे बाँट कर 3-4 बार भोजन दें, ऐसा करने से भोजन का पाचन एवं उपयोग ज्यादा अच्छा होता है एवं मछली की वृद्धि भी ज्यादा होती है।
- हर 10 दिनों के अंतराल में 1 दिन पूरक आहार नहीं देना चाहिए, ऐसा करने से फीड की बचत होती है और मछलियों की वृद्धि में कोई कमी नहीं होती है, इससे मछलियों की पाचन शक्ति में भी वृद्धि होती है।
- सर्दी के मौसम के प्रारंभ में ही तालाब में उचित मात्रा में चुने का प्रयोग ज़रूर करें, इससे बीमारियों के संक्रमण का खतरा कम हो जाता है।
- जरूरत से ज्यादा भोजन न दें। सघन खेती में जरुरत से ज्यादा पूरक आहार देने से कभी-कभी पानी में अमोनिया की मात्रा बढ़ जाती है, इसकी मात्रा पानी में ज्यादा होने से मछलियाँ मर भी सकती है।
- ठंड के महीने की तुलना में गर्मी के महीनों में पंगास की वृद्धि तेजी से होती है। संचयन गर्मी की शुरुआत में करे।