पशु पालन के व्यवसाय में घाटे का कारण बन सकती है पशुओं में बांझपन की बीमारी, जानें कारण और निदान

पशु पालन के व्यवसाय में घाटे का कारण बन सकती है पशुओं में बांझपन की बीमारी, जानें कारण और निदान

पशु पालन के व्यवसाय के बारे में अगर बात करें तो भारत समेत पूरी दुनिया के यह सबसे पुराने व्यवसायों में से एक माना जाता है। जहां पुराने समय में लोग अपने परिवार की जरूरत के अनुसार दूध की प्राप्ति के लिए गाय-भैंस का पालन करते थे। वहीं अब कई व्यवसाई बड़े-बड़े डेयरी फार्म खोलकर दूध बेचकर अच्छा-खासा मुनाफा कमाते हैं। पिछले कुछ वर्षों में पशु पालन का व्यवसाय करने वालों के सामने पशुओं में होने वाली बांझपन की बीमारी एक प्रमुख समस्या के रूप में सामने आई है।

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अगर पशुओं में बांझपन होने के एक बेसिक कारण की बात करें तो पशुओं को पोषक पशु आहार ना मिल पाना इस बीमारी का एक प्रमुख कारण माना गया है। लगातार निम्न क्वालिटी का पशु आहार खाने और जरूरी विटामिन, मिनिरल्स, मिनिरल मिक्चर, प्रोटीन और कैल्शियम जरूरत के मुताबिक पशु को ना मिल पाने की स्थिति में पशु की अंदरूनी क्षमता पर प्रभाव पड़ता है और पशुओं में बांझपन जैसी बीमारी पनपने लगती है।

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लंबे समय तक पोषक आहार ना मिलने पर पशु की कार्यक्षमता भी प्रभावित होती है। तो पशुओं को बांझपन की बीमारी से बचाए रखने और साथ ही उनकी कार्यक्षमता और दुग्ध उत्पादन का सर्वश्रेष्ठ स्तर बनाए रखने के लिए पशुओं को पोषक तत्वों मिश्रित पशु आहार ही देना चाहिए। इसके अलावा भी कुछ अन्य कारणों से पशुओं में बांझपन की समस्या उत्पन्न होती है। तो आईए जान लेते हैं पशुओं में बांझपन होने के कुछ प्रमुख कारण और उनके उपचार।

जानिए पशुओं में बांझपन होने के प्रमुख कारण

बांझपन के कारण कई हैं और वे जटिल हो सकते हैं। बांझपन या गर्भ धारण कर एक बच्चे को जन्म देने में विफलता, मादा में कुपोषण, संक्रमण, जन्मजात दोषों, प्रबंधन त्रुटियों और अंडाणुओं या हार्मोनों के असंतुलन के कारण हो सकती है।

गायों और भैंसों दोनों का यौन(कामोत्तेजना) 18 से 21 दिन में एक बार 18 से 24 घंटे के लिए होता है। मगर भैंसों में यौन चक्र गुपचुप तरीके से होता है। यह किसानों और पशुपालकों के लिए एक बड़ी समस्या है। इसके लिए देर रात तक 4 से 5 बार जानवरों की सघन निगरानी करनी पड़ती है। उत्तेजना का गलत अनुमान बांझपन के स्तर में वृद्धि कर सकता है।

जानिए पशुओं को बांझपन से बचाने के तरीके

  • ब्रीडिंग (कामोत्तेजना) अवधि के दौरान की जानी चाहिए।
  • अगर पशु कामोत्तेजना नहीं दिखाते हैं या फिर जिन्हें यौन चक्र नहीं आ रहा हो, तो उनकी जांच करा लेनी चाहिए।
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  • कीड़ों से प्रभावित होने पर 6 महीने में एक बार पशुओं का डीवर्मिंग कराना चाहिए, सर्वाधिक डीवर्मिंग में एक छोटा सा निवेश डेयरी उत्पाद प्राप्त करने में अधिक लाभ ला सकता है।
  • पशुओं को ऊर्जा के साथ प्रोटीन, खनिज और विटामिन वाला संतुलित आहार देना चाहिए, यह गर्भाधान की दर में वृद्धि करता है।
  • गर्भावस्था के दौरान हरे चारे की पर्याप्त मात्रा देना चाहिए। इससे नवजात बछड़ों को अंधेपन से बचाया जा सकता है, साथ ही जन्म के बाद नाल को बरकरार रखा जा सकता है।
  • बछड़े को जन्मजात दोष और संक्रमण से बचने के लिए प्रजनन की जानकारी महत्वपूर्ण है।
  • गायों की सेवा करने और बछड़े पैदा करने से गर्भाशय के संक्रमण से बड़े पैमाने पर बचा जा सकता है।
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  • गर्भाधान के 60 से 90 दिनों के बाद गर्भावस्था की पुष्टि के लिए जानवरों की जांच करा लेनी चाहिए।
  • गर्भावस्था के आखिरी चरण के दौरान अनुचित तनाव और परिवहन से परहेज किया जाना चाहिए।
  • गर्भवती पशु को बेहतर प्रबंधन देना चाहिए।
  • प्रसव देखभाल के लिए सामान्य झुंड से दूर रखना चाहिए।
  • गर्भवती जानवरों का प्रसव से 2 महीने पहले पूरी तरह से दूध निकाल लेना चाहिए।
  • उन्हें पर्याप्त पोषण और व्यायाम दिया जाना चाहिए।
  • इस तरह पशु के स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद मिलती है और औसत वजन के साथ एक स्वस्थ बछड़े का प्रजनन होता है।

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