आपकी अतिरिक्त आय का साधन बन सकता है बैकयार्ड मुर्गी पालन, लागत कम, मुनाफा ज्यादा, जानिए कैसे?

आपकी अतिरिक्त आय का साधन बन सकता है बैकयार्ड मुर्गी पालन, लागत कम, मुनाफा ज्यादा, जानिए कैसे?
demo image

तेजी से बढ़ती आबादी और घटते रोजगार का समाधान स्वरोजगार अपनाकर किया जा सकता है। पुरातनकाल से भारत को एक कृषि प्रधान देश माना जाता है। यहां की आबादी का एक बड़ा हिस्सा खेती और पशुपालन से अपनी आजीविका का प्रबंध करने में विश्वास रखता था। समय बदलने के साथ लोगों का रुझान नौकरी की तरफ बढ़ने लगा, लेकिन अब फिर से युवा खेती और पशुपालन में काफी हद तक अपनी रुचि दिखा रहे हैं।

demo image

ऐसे में अगर आप भी कम लागत में अधिक मुनाफे वाले व्यवसाय की तलाश में हैं तो बैकयार्ड मुर्गी पालन का व्यवसाय आपकी उम्मीदों पर खरा उतर सकता है। जैसा कि इसके नाम से ही जाहिर है कि बैकयार्ड अर्थात घर के पीछ खाली पड़ी जगह पर आप कुछ मुर्गियों को पालकर उन्हें अपनी आमदनी का जरिया बना सकते हैं।

https://efeedapp.page.link/L2B8ncmQiX2Vd6hY6

आप अपनी नौकरी के साथ या कोई अन्य मुख्य काम करते हुए बैकयार्ड मुर्गी पालन को अपनी अतिरिक्त आय का जरिया बना सकते हैं। आज हम आपको बैकयार्ड मुर्गी पालन के बारे कुछ अहम जानकारी देने जा रहे हैं जिससे आपको यह व्यवसाय करने में सहूलियत मिल सकती है।

demo image

जानिए बैकयार्ड मुर्गी पालन के कुछ फायदे

1.  लघु सीमांत और भूमिहीन किसानों, जिनके पास बजट कम होता है, वे आसानी से कम लागत में अतिरिक्त पैसे कमा सकते हैं।

2.  पोषक तत्वों से भरपूर अंडा प्रोटीन का सबसे अच्छा स्रोत है जो घर-परिवार पोषण स्तर में भी सुधार करता है।

3.  रसोई से निकले हुए अवशिष्ट पदार्थ जिन्हें फेंक दिया जाता है, बैकयार्ड मुर्गी पालन में इसका उपयोग मुर्गियों के चारे के लिए किया जा सकता है।

4.  घर के आस-पास पड़े खाली स्थानों का सद्पयोग होता है और आर्थिक आवश्यकताओं को पूरी करने में योगदान देता है।

5.  देसी मुर्गे-मुर्गी का बाजार मूल्य ज्यादा और मांग भी अधिक होती है।

demo image

अब अगर बात करें इस व्यवसाय को शुरू करने की तो 20 से 30 देसी मुर्गियों से इस व्यवसाय को शुरू किया जा सकता है। इन मुर्गियों के 1 दिन के चूजों की कीमत लगभग 30 से 60 रुपये तक हो सकती है। देसी मुर्गियों में अंडे सेने का गुण होता है, जिसका लाभ यह होता है कि किसानों को बार-बार चूजे खरीदने की आवश्यकता नहीं पड़ती है।

https://efeedapp.page.link/3ZTzq5Dv9M2Qz6Hp7

देसी मुर्गी साल में 160 से 180 अंडे देती हैं, जिनका बाजार में मूल्य अधिक होता है। देसी मुर्गी के अंडे की मांग भी बहुत ज्यादा है। आजकल इसको जैविक अंडा के रूप मे इस्तेमाल किया जा रहा है। इसकी कीमत आमतौर पर साधारण अंडे के मुकाबले ज्यादा होती है और इसकी मार्केटिंग मे कोई परेशानी नहीं होती है।

demo image

अब बात आती है कि बैकयार्ड मुर्गी पालन में किस तरह की मुर्गियों को पालें। तो हम आपको बता दें कि बैकयार्ड मुर्गी पालन में असील, कड़कनाथ, ग्रामप्रिया, स्वरनाथ, केरी श्यामा, निर्भीक, श्रीनिधि, वनराजा, कारी उज्जवल और कारी उत्तम जैसी नस्लों की मुर्गियों का पालन किया जा सकता है।

मुर्गी पालन के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने और ई फीड से जुड़ने के लिए अपने मोबाइल में अभी इंस्टॉल करें ई फीड का एप। त्वरित जानकारी के लिए आप ई फीड के टोल फ्री नंबर 18002707065 पर भी कॉल कर सकते हैं।

App link

👇👇👇👇

https://efeedapp.page.link/qL6j