आपकी अतिरिक्त आय का साधन बन सकता है बैकयार्ड मुर्गी पालन, लागत कम, मुनाफा ज्यादा, जानिए कैसे?

तेजी से बढ़ती आबादी और घटते रोजगार का समाधान स्वरोजगार अपनाकर किया जा सकता है। पुरातनकाल से भारत को एक कृषि प्रधान देश माना जाता है। यहां की आबादी का एक बड़ा हिस्सा खेती और पशुपालन से अपनी आजीविका का प्रबंध करने में विश्वास रखता था। समय बदलने के साथ लोगों का रुझान नौकरी की तरफ बढ़ने लगा, लेकिन अब फिर से युवा खेती और पशुपालन में काफी हद तक अपनी रुचि दिखा रहे हैं।

ऐसे में अगर आप भी कम लागत में अधिक मुनाफे वाले व्यवसाय की तलाश में हैं तो बैकयार्ड मुर्गी पालन का व्यवसाय आपकी उम्मीदों पर खरा उतर सकता है। जैसा कि इसके नाम से ही जाहिर है कि बैकयार्ड अर्थात घर के पीछ खाली पड़ी जगह पर आप कुछ मुर्गियों को पालकर उन्हें अपनी आमदनी का जरिया बना सकते हैं।
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आप अपनी नौकरी के साथ या कोई अन्य मुख्य काम करते हुए बैकयार्ड मुर्गी पालन को अपनी अतिरिक्त आय का जरिया बना सकते हैं। आज हम आपको बैकयार्ड मुर्गी पालन के बारे कुछ अहम जानकारी देने जा रहे हैं जिससे आपको यह व्यवसाय करने में सहूलियत मिल सकती है।

जानिए बैकयार्ड मुर्गी पालन के कुछ फायदे
1. लघु सीमांत और भूमिहीन किसानों, जिनके पास बजट कम होता है, वे आसानी से कम लागत में अतिरिक्त पैसे कमा सकते हैं।
2. पोषक तत्वों से भरपूर अंडा प्रोटीन का सबसे अच्छा स्रोत है जो घर-परिवार पोषण स्तर में भी सुधार करता है।
3. रसोई से निकले हुए अवशिष्ट पदार्थ जिन्हें फेंक दिया जाता है, बैकयार्ड मुर्गी पालन में इसका उपयोग मुर्गियों के चारे के लिए किया जा सकता है।
4. घर के आस-पास पड़े खाली स्थानों का सद्पयोग होता है और आर्थिक आवश्यकताओं को पूरी करने में योगदान देता है।
5. देसी मुर्गे-मुर्गी का बाजार मूल्य ज्यादा और मांग भी अधिक होती है।

अब अगर बात करें इस व्यवसाय को शुरू करने की तो 20 से 30 देसी मुर्गियों से इस व्यवसाय को शुरू किया जा सकता है। इन मुर्गियों के 1 दिन के चूजों की कीमत लगभग 30 से 60 रुपये तक हो सकती है। देसी मुर्गियों में अंडे सेने का गुण होता है, जिसका लाभ यह होता है कि किसानों को बार-बार चूजे खरीदने की आवश्यकता नहीं पड़ती है।
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देसी मुर्गी साल में 160 से 180 अंडे देती हैं, जिनका बाजार में मूल्य अधिक होता है। देसी मुर्गी के अंडे की मांग भी बहुत ज्यादा है। आजकल इसको जैविक अंडा के रूप मे इस्तेमाल किया जा रहा है। इसकी कीमत आमतौर पर साधारण अंडे के मुकाबले ज्यादा होती है और इसकी मार्केटिंग मे कोई परेशानी नहीं होती है।

अब बात आती है कि बैकयार्ड मुर्गी पालन में किस तरह की मुर्गियों को पालें। तो हम आपको बता दें कि बैकयार्ड मुर्गी पालन में असील, कड़कनाथ, ग्रामप्रिया, स्वरनाथ, केरी श्यामा, निर्भीक, श्रीनिधि, वनराजा, कारी उज्जवल और कारी उत्तम जैसी नस्लों की मुर्गियों का पालन किया जा सकता है।
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