पंगास पूरी करेगी आपके मुनाफे की आस, मछली पालन के लिए ये मछली है बेहद खास, जानिए कैसे?

तेजी से बदलते दौर में अब कई लोगों का रूझान नौकरी करने की बजाए व्यवसाय की तरफ बढ़ा है। आत्मनिर्भर बनने की ललक में अब कई युवा नौकरी छोड़ व्यवसाय में हाथ हाजमाने से नहीं हिचक रहे हैं। आमतौर पर देखा गया है कि कई बार व्यवसाय शुरू करने से पहले उसके बारे में पूरी तरह से रिसर्च ना करने पर लोग व्यापार में नुकसान कर बैंठते हैं। पशुपालन हमेशा से ही भारत में व्यवसाय का एक अच्छा विकल्प रहा है। अब शहरों से लेकर गांवों तक लोगों की रुचि मछली पालन में बढ़ रही है लेकिन हर व्यवसाय की तरह इस व्यवसाय के भी अपने फायदे-नुकसान हैंं।
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ऐसे में अगर आप भी मछली पालन करना चाहते हैं और इससे मुनाफा कमाने चाहते हैं तो आज हम आपको एक ऐसी मछली के बारे में बताने जा रहे हैं जिसका पालन कर आप इस व्यवसाय में मुनाफा कमा सकते हैं। पंगास मछली एक ऐसी मछली है जिसका पालन कर आप इस व्यवसाय में मुनाफा कमा सकते हैं। आइए जान लेते हैं पंगास मछली के बारे में…

जानिए पंगास मछली की विशेषताएं और इनके पालन में क्या-क्या सावधानियां बरतें
पंगास मछली मीठे पानी में पाली जाने वाली प्रजाति है, जोकि 6 से 8 महीने में 1.0 से 1.5 किग्रा की हो जाती है। यह वायुश्वासी होती है, इसलिए इसमें कम घुलित आक्सीजन को सहन करने की क्षमता होती है।
पंगास मछली एक सर्वभक्षी मछली है। अगर ठंड का मौसम है और तापमान 15 सेल्सियस से कम हो, तो ऐसे में मछली तनाव में आ जाती है। उसके भोजन करने की मात्रा भी कम हो जाती है। इस कारण उसका वजन घटने लगता है। ऐसे में करीब अक्टूबर महीने तक मछली को निकाल लेना चाहिए।
पंगास मछली की अच्छी वृद्धि के लिए जलीय गुणवत्ता होनी चाहिए। इनके लिए तापक्रम 26 से 30 डिग्री सेल्सियस, पी.एच करीब 6.5 से 7.5 होना चाहिए।
अगर पंगास मछली की विशेषताओं की बात करें तो

इन मछलियों की वार्षिक वृद्धि दर ज्यादा होती है।
इस मछली की मांग ज्यादा होती है।
यह मछली वाले जलीय स्त्रोतों में पाली जा सकती है।
इन मछलियों में पतले कांटें कम होते हैं।
पंगास प्रजाति में रोगनिरोधक क्षमता अधिक होती है।

अगर आप पंगास मछली का पालन करना चाहते है, तो संचयन तालाब का क्षेत्रफल करीब 0.5 से 1.0 एकड़ होना चाहिए। तो वहीं करीब 10 से 15 एकड़ तक का क्षेत्रफल भी ठीक रहता है। तालाब में पानी की गहराई करीब 1.5 से 2.0 मी. तक हो।
इसके लिए ज्यादा गहराई वाले तालाब ठीक नहीं रहते हैं, क्योंकि यह मछली वायुश्वासी होनी है। ध्यान रहे कि तालाब की गहराई ज्यादा न हो, क्योंकि इन्हें ऊपर आने और जाने में ज्यादा ऊर्जा खपत करनी होती है। जिससे इनकी वृद्धि दर कम होने लगती है।
तो इस तरह से आप पंगास मछली का पालन कर मछली पालन के व्यवसाय में मुनाफा कमा सकते हैं।
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