लागत कम मुनाफा ज्यादा, जी हां… ये सिर्फ मछली पालन नहीं है, ये है पिंजरा मछली पालन, जानिए cage fishing के बारे में

आंकड़ों की बात करें तो भारत में लगभग 70 प्रतिशत लोग मछली का सेवन करते हैं। इसके अलावा मछली का उपयोग कुछ मेडिसिन बनाने में भी किया जा सकता है। जाहिर है मछली पालन एक मुनाफे वाले व्यवसाय है। हालांकि विगत कई वर्षों से भारत समेत दुनिया के अन्य देशों में भी मछली पालन किया जाता रहा है। बदलते समय के साथ-साथ इस व्यवसाय के करने के तरीकों में भी बदलाव आता रहा है। ऐसे में अगर आप पिंजरा मछली पालन के बारे में नहीं जानते हैं तो आज हम आपको इसकी जानकारी देने जा रहे हैं। पिंजरा मछली पालन कर आप इस व्यवसाय में अधिक मुनाफा कमा सकते हैं। आइये जान लेते हैं आखिर क्या है पिंजरा मछली पालन…
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जैसा कि नाम से ही जाहिर है कि पिंजरा मछली पालन अर्थात तालाब की बजाय पिंजरें में मछली पालन करना। केज (पिंजरा) जाल द्वारा सभी ओर से बंद के पिंजरे के जैसी संरचना है जो पानी के प्रवाह एवं दबाव को लम्बे समय तक सहन कर सकती है। एशिया महादेश के कई देशों में जलाशयों एवं खुले समुद्र में केज निर्माण का मत्स्य पलान का कार्य वर्षों पहले से चला आ रहा है।

आज झारखण्ड सहित देश के कई राज्यों में केज मत्स्य पालन प्रगति पर है। मछली पालन करने के लिए पिंजरे को बनाने के लिए ढाई मीटर लंबा, ढाई मीटर चौड़ा और 2 मीटर ऊंचाई वाला बॉक्स बनाया जाता है। इस बक्से में मछली के बीज डाले जाते हैं। बक्से के चारों ओर सी वीड्स भी लगाए जाते हैं।

धान की खेती करने वाले किसानों के लिए बेहतर विकल्प है पिंजरा मछली पालन
धान की खेती करने वाले किसानों के लिए पिंजरा मछली पालन एक बेहतर विकल्प है। किसान भाई धान के खेत में जमा पानी में मछली पालन कर सकते हैं। जिसे फिश-राइस फार्मिंग कहते हैं। इस तरह की खेती में धान के साथ-साथ मछली पालन का भी काम हो जाएगा।
इससे किसानों को धान के दाम तो मिलेंगे ही, साथ में उन्हें मछली बिक्री से भी लाभ मिलेगा। एक ही खेत में मछली व दूसरे जलजीवों का एक साथ उत्पादन बढ़ाया जा सकता है। आमतौर पर इससे धान के उत्पादन पर भी कोई असर नहीं पड़ता है। धान के खेत में मछली पालन से धान के पौधों में लगने वाली कई बीमारियों से भी छुटकारा मिलता है।

दो तरह के पिंजरों में किया जाता है पिंजरा मछली पालन
मछली पालन दो तरह के पिंजरों में किया जाता है। एक जो एक ही जगह पर स्थिर हो एवं दूसरा वो जो तैरने वाला हो। स्थिर पिंजरे को बनाने के लिए पानी की 5 मीटर गहराई होनी चाहिए। वहीं तैरने वाले पिंजरे की बात करें तो इसे बनाने के लिए 5 मीटर से अधिक गहरायी होनी चाहिए। ध्यान रखना चाहिए कि इसमें ऑक्सीजन की भरपूर मात्रा हो। अगर पिंजरे में पानी के गहराव की बात करें तो पिंजरे में पानी का गहराव लगभग 10 फिट तक होना चाहिए।

अब अगर पिंजरा मछली पालन से होने वाले प्रमुख फायदों की बात करें तो पिंजरा मछली पालन में मछलियों का विकास अच्छी तरह से होता है। इसमें मछलियां तेजी से बढ़ती हैं। जिस कारण मछली पालन करने वाले व्यवसाई को मुनाफा होने की संभावना बढ़ जाती है।
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