कम समय में कमाना चाहते हैं अधिक मुनाफा, ब्रायलर मुर्गी पालन से पूरी कर सकते हैं अपनी ये आशा, जानिए कैसे?

कम समय में कमाना चाहते हैं अधिक मुनाफा, ब्रायलर मुर्गी पालन से पूरी कर सकते हैं अपनी ये आशा, जानिए कैसे?

तेजी से बदलते समय में लगभग हर चीज आधुनिकता का रूप लेती जा रही है। आज के दौर में हर व्यक्ति कम समय में सफलता के नए मुकाम पर पहुंचना चाहता है। व्यवसाय करने के इच्छुक लोग अक्सर ऐसे व्यवसाय की तलाश में रहते हैं जिस व्यवसाय में उन्हें कम समय में और कम लागत में जल्द और अधिक मुनाफा हो। अगर आप भी किसी ऐसे ही व्यवसाय की तलाश में हैं तो ब्रायलर मुर्गी पालन का व्यवसाय आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प बन सकता है।

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वैसे तो मुर्गी पालन का व्यवसाय भारत समेत दुनियाभर के देशों में विगत कई वर्षों से किया जाता रहा है लेकिन बदलते समय के साथ इसे करने के तरीकों में भी बदलाव आना लाजिमी है। ऐसे में अगर ब्रायलर मुर्गी पालन की बात करें तो यह व्यवसाय मुख्यता मांस के लिए किया जाता है ना कि मुर्गी के अंडों के लिए। चूंकि ब्रायलर मुर्गी पालन की विधि से तैयार किए गए चूजे 6 हफ्तों में करीब डेढ़ से दो किलो के हो जाते है।

ऐसे में इस व्यवसाय में कम समय में अधिक मुनाफा कमाने की संभावना बढ़ जाती है। तो अगर आप भी ब्रायलर मुर्गी पालन को अपनी आजीविका का स्त्रोत बनाना चाहते हैं तो आज हम आपको इस व्यवसाय के बारे में कुछ अहम जानकारियां देने जा रहे हैं। जिन्हें अपनाकर आपको इस व्यवसाय को करने में सहूलियत मिलेगी।

जानिए क्या है ब्रायलर मुर्गी पालन

ब्रायलर मुर्गी पालन मुख्य रुप से मांस के लिए किया जाता है। ब्रायलर प्रजाति के मुर्गा या मुर्गी अंडे से निकलने के बाद ४० से ५० ग्राम के ग्राम के होते हैं जो सही प्रकार से दाना- दवा खिलाने और सही रख-रखाव के बाद के बाद ६ हफ्ते में लगभग १.५ किलो से २ किलो के हो जाते हैं।

जानिए ब्रायलर मुर्गी पालन के लिए किस तरह के स्थान का चुनाव करें

  • जगह समतल हो और कुछ ऊंचाई पर हो, जिससे की बारिश का पानी फार्म में जमा ना हो सके और फर्श पक्का हो ।
  • मुख्य सड़क से ज्यादा दूर ना हो जिससे लोगों का और गाड़ी का आना जाना सही रूप से हो सके।
  • मुर्गियों के शेड और बर्तनों की साफ सफाई का खास ध्यान रखें।
  • चूज़े, ब्रायलर दाना, दवाईयाँ, वैक्सीन आदि आसानी से उपलब्ध हो।
  • मुर्गी पालन की जगह मेन रोड़ और शहर से बाहर होनी चाहिए।
  • बिजली और पानी की सुविधा सही रूप से उपलब्ध हो।
  • फार्म की लंबाई पूरब से पश्चिम की ओर होना चाहिए।
  • दो मुर्गी फार्म एक दूसरे के पास में नहीं होना चाहिए।
  • एक शेड में केवल एक ही ब्रीड के चूजे रखने चाहिए।
  • ब्रायलर मुर्गी और अंडे बेचने के लिए बाज़ार भी हो।
  • बिजली की उचित व्यवस्था होनी चाहिए।

जानिए किस तरह करें दाने-पानी और बर्तनों का इंतजाम

  • प्रत्येक 100 चूज़ों के लिए कम से कम 3 पानी और 3 दाने के बर्तन होना बहुत ही आवश्यक है।
  • दाने और पानी के बर्तन आप मैन्युअल या आटोमेटिक किसी भी प्रकार का इस्तेमाल कर सकते हैं। मैन्युअल बर्तन साफ़ करने में आसान होते हैं लेकिन पानी देने में थोडा कठिनाई होती है पर आटोमेटिक वाले बर्तनों में पाइप सिस्टम होता है जिससे टंकी का पानी सीधे पानी के बर्तन में भर जाता है।

जानिए किस तरह करें ब्रायलर मुर्गी फार्म के लिए शेड का निर्माण

  • शेड हमेशा पूर्व-पश्चिम दिशा में होना चाहिए और शेड के जाली वाला साइड उत्तर-दक्षिण में होना चाहिए जिससे की हवा सही रूप से शेड के अन्दर से बह सके और धुप अन्दर ज्यादा ना लगे।
  • शेड की चौड़ाई 30-35 फुट और लम्बाई ज़रुरत के अनुसार आप रख सकते हैं।
  • शेड का फर्श पक्का होना चाहिए।
  • शेड के दोनों ओर जाली वाले साइड में  दीवार फर्श से मात्र 6 इंच ऊँची होनी चाहिए।
  • शेड की छत को सीमेंट के एसबेस्टस या चादर से बनाना चाहिए और बिच-बिच में वेंटिलेशन के लिए जगह भी होना चाहिए। चादर को दोनों साइड 3 फीट कट लम्बा रखें जिससे की बारिश के बौछार से शेड ना भिज जाये।
  • शेड की साइड की ऊँचाई फर्श से 8-10 फूट होना चाहिए व बीचो-बीच की ऊँचाई फर्श से 14-15 फूट होना चाहिए।
  • शेड के अन्दर बिजली के बल्ब, मुर्गी दाना व पानी के बर्तन, पानी की टंकी की उचित व्यवस्था होना चाहिए।
  • एक शेड को दुसरे शेड से थोडा दूर- दूर बनायें। आप चाहें तो एक ही लम्बे शेड को बराबर भाग में दीवार बना कर भी बाँट सकते हैं।

बुरादा या लिटर का इस तरह करें उपयोग

  • बुरादा या लिटर के लिए आप लकड़ी का पाउडर, मूंगफली का छिल्का या धान का छिल्का का उपयोग कर सकते हैं।
  • चूज़े आने से पहले लिटर की 3-4 इंच मोटी परत फर्श पर बिछाना आवश्यक है। लिटर पूरा नया होना चाहिए एवं उसमें किसी भी प्रकार का संक्रमण ना हो।

इस तरह करें मुर्गी फार्म में ब्रूडिंग

  • चूज़ों के सही प्रकार से विकास के लिए ब्रूडिंग सबसे ज्यादा आवश्यक है। ब्रायलर फार्म का पूरा व्यापार पूरी तरीके से ब्रूडिंग के ऊपर निर्भर करता है। अगर ब्रूडिंग में गलती हुई तो आपके चूज़े 7-8 दिन में कमज़ोर हो कर मर जायेंगे या आपके सही दाना के इस्तेमाल करने पर भी उनका विकास सही तरीके से नहीं हो पायेगा।
  • जिस प्रकार मुर्गी अपने चूजों को कुछ-कुछ समय में अपने पंखों के निचे रख कर गर्मी देती है उसी प्रकार चूजों को फार्म में भी जरूरत के अनुसार तापमान देना पड़ता है।
  • ब्रूडिंग कई प्रकार से की जाती है जैसे कि-  बिजली के बल्ब से, गैस ब्रूडर से या अंगीठी/सिगड़ी से।

बिजली के बल्ब से ब्रूडिंग

इस प्रकार के ब्रूडिंग के लिए आपको नियमित रूप से बिजली की आवश्यकता होती है। गर्मी के महीने में प्रति चूज़े को 1 वाट की आवश्यकता होती है जबकि सर्दियों के महीने में प्रति चूज़े को 2 वाट की आवश्यकता होती है।

गर्मी के महीने में 4-5 दिन ब्रूडिंग किया जाता है और सर्दियों के महीने में ब्रूडिंग 12-15 दिन तक करना आवश्यक होता है। चूजों के पहले हफ्ते में ब्रूडर को लिटर से 6 इंच ऊपर रखें और दुसरे हफ्ते 10 से 12 इंच ऊपर।

गैस ब्रूडर से ब्रूडिंग

जरूरत और क्षमता के अनुसार बाज़ार में गैस ब्रूडर उपलब्ध हैं जैसे की 1000 औ 2000 क्षमता वाले ब्रूडर। गैस ब्रूडर ब्रूडिंग का सबसे अच्छा तरिका है इससे शेड केा अन्दर का तापमान एक समान रहता है।

अंगीठी या सिगड़ी से ब्रूडिंग

ये खासकर उन क्षेत्रों के लिए होता हैं जहाँ बिजली उपलब्ध ना हो या बिजली की बहुत ज्यादा कटौती वाले जगहों पर। लेकिन इसमें ध्यान रखना बहुत ज्यादा जरूरी होता है क्योंकि इससे शेड में धुआं भी भर सकता है या आग भी लग सकता है।

ब्रायलर फार्मिंग में 3 प्रकार के दाने की आवश्यकता होती है। यह दाना ब्रायलर चूजों की उम्र और वज़न के अनुसार दिया जाता है

  • प्री स्टार्टर (Pre-starter feed) (0-10 दिन तक के चूजों के लिए)
  • स्टार्टर (Starter feed) (11-20 दिन के ब्रायलर चूजों के लिए)
  • फिनिशर (Finisher feed) (21 सिन से मुर्गे के बिकने तक)

पीने का पानी

ब्रायलर मुर्गा 1 किलो दाना खाने पर 2-3 लीटर पानी पीता है। गर्मियों में पानी का पीना दोगुना हो जाता है। जितने सप्ताह का चूजा उसमें 2 का गुणा करने पर जो मात्र आएगी, वह मात्र पानी की प्रति 100 चूजों पर खपत होगी, जैसे –

पहला सप्ताह = 1 X 2 = 2 लीटर पानी/100 चूजा

दूसरा सप्ताह = 2 X 2 = 4 लीटर पानी /100 चूजा

ब्रायलर मुर्गियों के लिए जगह का फार्मूला

पहला सप्ताह- 1 वर्ग फुट- 3 चूजे

दूसरा सप्ताह- 1 वर्गफुट- 2 चूजे

तीसरे सप्ताह से 1 किलो होने तक - 1 वर्गफुट- 1 चूजा

1.5 किलोग्राम से बिकने तक -1.5 वर्गफुट/1 चूज़ा

सही प्रकार से चूजों को जगह मिलने पर चूजों का विकास अच्छा होता है और कई प्रकार की बीमारियों से भी उनका बचाव होता है।

ब्रायलर मुर्गी फार्म में बायोसिक्योरिटी का इस तरह रखें ख्याल

  1. ब्रायलर मुर्गी के दाना को साफ़ सूखे स्थान पर रखें क्योंकि यह खुला और पुराना हो जाने पर दाने में फफून लग जाते हैं जो चूज़ों और मुर्गियों के स्वास्थ के लिए ख़राब होता है।
  2. बाहर के व्यक्तियों को फार्म तथा शेड के पास न जाने दें ! इससे फार्म में बाहर से इन्फेक्शन आने का खतरा बढ़ता है।
  3. शेड के बाहर तथा अन्दर महीने में 3-4 बार चुने का छिडकाव करें।
  4. मुर्गी डीलर के गाड़ी को शेड से दूर रोकें। पास ले जाने पर दुसरे फार्म के इन्फेक्शन फार्म में आने का खतरा होता है।
  5. कुत्ते, बिल्ली, चूहे और बाहरी पक्षियों को फार्म के भीतर ना जाने दें।
  6. फार्म के शेड के अन्दर घुसने से पहले अपने रबर के जूतों को पहनें और पहन कर 3 प्रतिशत फोर्मलिन में डूबा कर अन्दर घुसें।
  7. एक शेड से दुसरे शेड में जाने से पहले अपने रबर के जूतों को दोबारा 3 प्रतिशत फोर्मलिन में दुबयें या प्रति शेड के लिए अलग-अलग जूतों का इस्तेमाल करें तथा हांथों को साबुन से अच्छे से धोएं।
  8. एक ही शेड में उसके क्षमता के अनुसार ही चूज़े रखें Overcrowding ना करें। इससे बीमारियाँ बढती हैं और साफ़ सफाई में मुश्किल होती है।
  9. ब्रायलर मुर्गियों की बिक्री के बाद शेड के लिटर को शेड के पास ना फेकें उन्हें कहीं दूर बड़े गड्डे खुदवा कर दबा  दें।

ब्रायलर मुर्गी फार्म के लिए इस तरह करें रोशनी का प्रबंध

चूजों को 23 घंटे लाइट देना चाहिए और एक घंटे के लिए लाइट बंद करना चाहिए, ताकि चूज़े अंधेरा होने पर भी ना डरें। पहले 2 सप्ताह रोशनी में कमी नहीं होनी चाहिए क्योंकि इससे चूज़े स्ट्रेस फ्री रहते हैं और दाना पानी अच्छे से खाते हैं। शेड के रोशनी को धीरे-धीरे कम करते जाना चाहिए।

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