बायोफ्लॉक मछली पालन कैसे करते है, बायोफ्लॉक मछली पालन; सम्पूर्ण जानकारी

बायोफ्लॉक मछली पालन करने की एक विधि है। बायोफ़्लोक एक प्रकार का प्रोबायोटिक होता है जिसमें प्राकृतिक और पर्यावरण के अनुकूल बैक्टीरिया उत्तपन्न होते हैं। यह बैक्टीरिया कचरे को प्रभावी ढंग से तोड़कर मछली के लिए दोबारा फीड में परिवर्तित कर देते है। यह मछली को स्वस्थ वातावरण देता है। बायोफ़्लोक शून्य जल विनिमय में भी मदद प्रदान करता है। बायोफ्लॉक भारत में मछली पालकों को पानी की गुणवत्ता बढ़ाने, बीमारियों को रोकने और पर्यावरण को अच्छा रखने के लिए लाया गया है। सामान्य तालाब में 75% मछली की फीड बेकार हो जाती है जो तालाब के नीचे जा कर अमोनिया का निर्माण करती है और जब मछली खाना खाकर मल करती है तब भी अमोनिया का निर्माण होता है, अधिक अमोनिया के कारण मछली अधिक बीमार पड़ती है। बायोफ्लॉक मछली पालन मे मछली का वेस्ट और बचा हुआ फीड एक बैक्टीरिया द्वारा दोबारा प्रोटीन में बदल जाता है। इस प्रोटीन को मछली खा लेती है और इस वजह से बायॉफ्लोक मे मछली की फीड की लागत बहुत कम लगती है और फीड बर्बाद भी नहीं होती है। वेस्ट के प्रोटीन में बदल जाने के कारण पानी मे अमोनिया की मात्रा को नियंत्रित रखना सरल होता है। बायोफ़्लोक टैंक में पानी को बदलने की आवश्यकता बहुत ही कम होती है। बायोफ़्लोक टैंक में अधिक्त अम्लता होने पर केवल 5% से 10% पानी बदलना पड़ता है।

बायोफ़्लोक मछली पालन कैसे करें:

1. सबसे पहले आपको इस तकनीक का उचित प्रशिक्षण लेना होगा।

2. इसके बाद टैंक सेटअप करवाना होगा।

3. इसके बाद अपने टैंक को ठीक से साफ़ करें।

4. अपने टैंक के पानी को तैयार करें।

5. पानी के मापदंड जैसे- पीएच, टीडीएस, अमोनिया, तापमान, लवणता आदि की जांच करें।

6. फिंगर्लिंग्स का संग्रह करें और उन्हें साफ करने के बाद आप टैंक में डालें।

7. उसके बाद अपनी मछली के आकार के अनुसार समय-समय पर उन्हें फीड दें।

8. समय-समय पर पानी के सभी मापदंडों की जाँच करें और अपनी मछली की स्थिति की भी जांच करें।

बायोफ्लॉक मछली पालन के लिए टैंक बनवाने का तरीका:

बायोफ़्लोक टैंक में सब तरफ से ढाल सेन्ट्रल ड्रेनेज की तरफ होनी चाहिए ताकि पानी बाहर निकालते वक्त टैंक का सारा पानी बाहर निकले। बायोफ़्लोक में आउट लेट से कंट्रोल चेम्बर मे पानी जाता है जहा से सारे टैंक का पानी एक ही जगह इकट्ठा होगा और फिर एक ही पाइप से बाहर निकलेगा। टैंक से 15 CM डाउन पाइप होता है जिससे पानी आसानी से बाहर निकलता है और कंट्रोल चेम्बर मे पानी बिना रुकावट के जाता है। बायोफ़्लोक टैंक 4 डायमीटर का होना चाहिए।

बायोफ्लॉक मछली पालन में पोषक मूल्य:

  • बायोफ्लॉक तकनीक में एक निलंबित कणों के भिन्न प्रकार का मिश्रण होता है और बायोफ्लॉक में बाह्य कोशिकाओं के पदार्थों से जुड़े अणुजीव की विभिन्न किस्में होती हैं।
  • यह बैक्टीरिया,काई,फफूंद आदि के अणु जीवों से निर्मित होता है।
  • बायोफ्लॉक तकनीक में मछली को प्रोटीन से भरपूर फीड मिलता है।
  • बायोफ्लॉक तकनीक में पाई जाने वाली पोषण की मात्रा बहुत अच्छी है, इसमे, ड्राई वेट प्रोटीन 25 से 50 प्रतिशत, वसा 0.5 से 15 प्रतिशत तक होता है।
  • फ्लॉक में विटामिन और खनिजों का एक उत्कृष्ट स्रोत होता है, विशेष रूप से फास्फोरस, यह प्रोबायोटिक्स के समान होता है।

बायोफ़्लोक मछली पालन में मछली की फीड:

बायोफ़्लोक मछली पालन में मछली को तैरने वाली फीड ही देनी चाहिए। जब मछली छोटी हो तो उसे ज्यादा प्रोटीन वाली फीड दे, जीरो साइज़ फ़ूड, छोटे साइज़ मे प्रोटीन ज्यादा होता हैं। जब मछली थोड़ी बड़ी हो जाए तो उसके शरीर के हिसाब से ही फीड का साइज़ बड़ा करें। बायोफ़्लोक टैंक में फीड की दर 5% होती है। जैसे कि मछली का वजन 100 ग्राम है तो कुल मिलाकर एक दिन की फीड 5 ग्राम ही देनी है। मछली को 2 या 3 बार 2.5 ग्राम फीड दे। बायोफ़्लोक टैंक में PROBIOTIC भी फीड का निमार्ण करते है इसलिए  बायोफ्लोक मछली पालम मे फीड की लागत कम होती है।

बायोफ्लॉक मछली पालन के लिए सर्वश्रेष्ठ मछली प्रजातियां:

1. तिलापिया

2. कार्प

3. बासा

बायोफ्लॉक मछली पालन के फायदे:

  • अमोनिया को प्राकृतिक तरीके से कम करता है।
  • मछली को प्राकृतिक और उच्च गुणवत्ता वाली फीड मिलती है।
  • मछली को अधिक प्रोटीन मिलता है जिससे उसकी ग्रोथ अच्छी होती है।
  • बायोफ्लॉक मछली पालन में मछली को 1% से कम बीमारी होती है।
  • फीड में लागत कम होती है।

बायोफ़्लोक मछली पालन के नुकसान:

  • वातन के लिए नियमित रूप से ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
  • क्षारीयता पूरकता आवश्यक होता है।

बायोफ़्लोक मछली पालन करने के लिए सुझाव:

  • जब मछलियां छोटी हो तब उन्हें उच्च गुणवत्ता वाली फीड दें।
  • डीओ, एफसीओ, तापमान, पीएच और अमोनिया जैसे विभिन्न भौतिक और रासायनिक मापदंडों को समय-समय पर जांच करते रहे।
  • टैंक में बैक्टीरिया की पोषण गुणवत्ता और वृद्धि को बढ़ाने के लिए पानी में गोबर का उपयोग करें।