ब्लैक एंड व्हाइट जिंदगी में भरें रंग, रंगीन मछली पालन को बनाएं अपनी आमदनी का साधन

ब्लैक एंड व्हाइट जिंदगी में भरें रंग, रंगीन मछली पालन को बनाएं अपनी आमदनी का साधन

मछली पालन का उद्योग भारत समेत पूरी दुनिया में अब किसी पहचान का मोहताज नहीं है। कई लोग इस व्यवसाय के माध्यम से अच्छी-खासी कमाई कर रहे हैं। सामान्य तरीके के मछली पालन से इतर अगर आप थोड़ी अलग एप्रोच रखते हैं तो आप रंगीन मछली पालन का व्यवसाय कर इसे अपनी अतिरिक्त आमदनी का साधन बना सकते हैं। तेजी से आधुनिक होती दुनिया में आज कोई भी व्यक्ति पैसे के साथ मानसिक सुकून और शांति भी चाहता है।

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ऐसे में रंगीन मछली पालन इस मामले में भी आपकी मदद कर सकता है। कई रिसर्च में सामने आया है कि रंगीन मछलियों को देखने भर से व्यक्ति को मानसिक शांति मिलती है। ऐसे में आज हम आपको रंगीन मछली पालन के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं।

रंगीन मछली पालन के लिए इन सामग्रियों को जुटाकर आप कर सकते हैं फिश एक्वेरियम का निर्माण

पॉलिश किया हुआ शीशे का प्लेट।

बल्ब लगा हुआ ढक्कन।

टेबुल, स्टैंड.पेस्टिंग गन, छोटे-छोटे रंग-बिरंगे पत्थर।

जलीय पौधे (कृत्रिम या प्राकृतिक)।

एक्वेरियम के पृष्ठ भूमि के लिए रंगीन पोस्टर, सजावटी खिलौने।

रंगीन मछलिया  पसंद के अनुसार।

मछलियों का भोजन-जरुरत के अनुसार।

हैंड नेट, बाल्टी, मग, स्पंज इत्यादि।

थर्मामीटर, थर्मोस्टैट, फिल्टर उपकरण, एयरेटर, क्लोरिन मुक्त जल।

आप एक्वेरियम पालिश वाले शीशे के प्लेट को सीलेंट से जोड़कर बना सकते हैं। इसको बाजार में ज्यादा पसंद किया जाता है। ध्यान दें कि घरों में रखने के लिए एक्वेरियम 60 x 30 x 30 से.मी. लम्बाई, चौड़ाई और उंचाई की मांग ज्यादा होती है, तो वहीं शीशे की मोटाई 2 से 6 मि.मी. हो। इसको ढकने के लिए फाइबर या लकड़ी से बने ढक्कन का उपयोग करें। आप ढक्कन के अंदर बल्ब लगा दें।

जानिए एक्वेरियम में कितनी और कौन-कौन सी प्रजाति की मछलियां पालें

एक्वेरियम तैयार कर अनुकूलित करने के बाद उसमें विभिन्न प्रकार की रंग बिरंगी मछलियाँ पाली जाती हैं। रंगीन मछलियों की अनेक प्रजातियां हैं, पर इन्हें एक्वेरियम में एक साथ रखने के पहले जानना आवश्यक है कि ये एक दुसरे को हानि तो नहीं पहुंचाएंगी। छोटी आकार की मछलियां रखना एक्वेरियम के लिए ज्यादा बेहतर माना जाता है, जिनका नाम निम्नलिखित है-

ब्लैक मोली, प्लेटी, गप्पी, सोई टेल ,गोरामी, फाइटर, एंजल, टैट्रा, बार्ब, शार्क, आस्कर, गोल्ड फिश  साथ ही इन मछलियों के अतिरिक्त कुछ देशी प्रजातियां भी हैं जिनको भी एक्वेरियम में रखा जा सकता  है, जैसे लोच, कोलीसा, चंदा, मोरुला इत्यादि। आमतौर पर 2-5 से.मी. औसतन आकार की 50 मछलियां प्रति वर्ग मी. जल में रखना ज्यादा बेहतर माना गया है।

एक्वेरियम में मछलियों को दें इस तरह का आहार

मछलियों का प्राकृतिक भोजन प्लवक होता है, लेकिन एक्वेरियम में कृत्रिम भोजन का उपयोग किया जाता है। इनको भोजन रोज़ाना दो बार निश्चित समय पर देना चाहिए। ध्यान दें कि मछलियों के शरीर भार के अनुसार ही आहार दें। इनको भोजन उतना ही दें, जितना मछलियां तुरंत खाकर खत्म कर सकें। इसके अलावा सप्ताह में 1 से 2 बार प्लवक भी खिला देना चाहिए, इससे मछलियों की चमक बनी रहती है।

एक्वेरियम में मछलियों की उचित देखरेख के लिए इन बातों का रखें ध्यान

थर्मोस्टैट द्वारा पानी का तापमान 24-28 डिग्री के बीच बनाये रखें।

एयरेटर द्वारा वायु प्रवाह निरंतर करना चाहिए. पानी साफ रखने के लिए फिल्टर का उपयोग करना चाहिए।

एक्वेरियम में उपस्थित अनावश्यक आहार, उत्सर्जित पदार्थों को प्रतिदिन साइफन द्वारा बहार निकालना चाहिए।

हर 15 दिन में एक बार आधा पानी निकलकर स्वच्छ पानी भरना चाहिए।

यदि कोई मछली मर जाती है तो उसे तुरंत निकाल देना चाहिए।

यदि कोई मछली बीमार हो तो, उसका उपचार कराना चाहिए।

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