खेती से साथ मछली पालन कर ऐसे करें अपनी आय को दोगुना

खेती से साथ मछली पालन कर ऐसे करें अपनी आय को दोगुना

बीते कुछ वर्षों में कई किसानों ने खेती के साथ-साथ मछली पालन कर अपनी आय को दोगुना किया है। इस प्रकार के मछली पालन को मिश्रित और एकीकृत खेती के नाम से जाना जाता है। मिश्रित खेती पूर्व व दक्षिण एशियाई देशों में बहुत लोकप्रियता के साथ जाती है। खेती और मछली एक साथ कर आप अपनी अर्थव्यवस्था में सुधार ला सकते है। मिश्रित खेती का साधारण शब्दों में अर्थ है कि दो उससे अधिक फसल का उत्पादन मछली पालन के साथ करना।

जानिए किस प्रकार होती है मिश्रित खेती:

  • मिश्रित खेती में जैविक प्रणाली की फिजूल पैदावार को दूसरे जैविक प्रणालियों के लिए पोषक तत्वों में बदला जाता है।
  • मछली पालन और खेती एक साथ करने से पॉलिकल्चर होता है और इससे कई प्रकार के नए उत्पाद की वृद्धि होती है।
  • मिश्रित खेती में जल को जैविक नित्युंदन के माध्यम से दोबारा इस्तेमाल किया जाता है।
  • मिश्रित खेती खाद्य पदार्थों का उत्पादन करती है और इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था भी बढ़ती है।
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खेती और मछली पालन एक साथ करने के लाभ:

  • फ़िजूल की पैदावार को मछली मछलियों के लिए उपयोग किया जाता है।
  • मिश्रित खेती पूरक आहार को उत्पन्न करती है जिससे मछली के फीड की अतिरिक्त लागत कम हो जाती है।
  • मिश्रित खेती एक संतुलित तंत्र है।
  • मिश्रित खेती कर के आप कम लागत में अच्छा मुनाफा कमा सकते है।
  • मिश्रित खेती में आप फसल के साथ साथ मछली पालन, बत्तख पालन, मुर्गी पालन, डेयरी, का व्यवसाय भी कर सकते है।

मिश्रित खेती के प्रकार:

मिश्रित मछली पालन के दो प्रकार होते है, पहला कृषि संग मछली पालन और दूसरा लाइव स्टॉक मछली पालन:

1. कृषि संग मछली पालन:

  • धान संग मछली पालन- बिहार, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, असम में धान संग मछली पालन का व्यवसाय अधिकतर किया जाता है क्योंकि इन क्षेत्रों में धान के खेतों में पर्याप्त जल मौजूद होता है। इस खेती में धान को बीच मे उगाया जाता है। इसमें लगभग 90 क्विंटल धान की फसल के साथ 1 हेक्टेयर के तालाब में लगभग 1000 किलोग्राम मछलियों का उत्पादन आसानी से किया जा सकता है।
  • बाग़वानी संग मछली पालन- इस प्रकार की पश्चिम बंगाल, उड़ीसा में अधिक की जाती है। इस खेती में तालाब के तट पर फल, सब्जियां व फूलों को उगाया जाता है जिन्हें कम धूप की आवश्यकता होती है। जिन फलो का इस खेती में उत्पादन किया जा सकता है वे केला, आम, नारियल और सब्ज़ियाँ जैसे बैंगन, मिर्च, टमाटर, ककड़ी, आदि फल व सब्ज़ियाँ। यह खेती केवल मछली पालन के व्यवसाय की तुलना में 20-25% अधिक मुनाफ़ा देती है।
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2. लाइव स्टॉक मछली पालन:

  • पोल्ट्री संग मछली पालन: इस प्रकार की खेती आंध्रप्रदेश, बिहार, असम,  पश्चिम बंगाल, उत्तरप्रदेश, उड़ीसा में अधिकतर की जाती है। इस खेती में मुर्गी और मछली पालन एक साथ किया जाता है। इससे एक वर्ष में लगभग 5000 किलोग्राम मछलियों के उत्पादन होता है और लगभग 1250 किलोग्राम मुर्गी व 7000 अंडे का उत्पादन होता है।
  • बत्तख संग मछली पालन: इस प्रकार की खेती उड़ीसा, कर्नाटक, बिहार, असम, उत्तरप्रदेश में अधिक की जाती है। इस खेती में लगभग 300 बत्तखों को 1 हेक्टेयर में पाला जाता है। बत्तख जलीय खरपतवार को भी नियंत्रित रखती है। एक बत्तख को कम से कम 0.3 से 0.5 वर्ग मीटर की आवश्यकता होती है। इससे लगभग 3500-5500 किलोग्राम मछलियों का उत्पादन और 600 किलोग्राम बत्तख व 18000 अंडे प्राप्त हो सकते है।  

मिश्रित खेती के और भी कई प्रकार होते हैं, यहाँ हमने अधिकतम की जाने वाली खेती का वर्णन किया है।

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