मछली पालन को इस योजना के तहत दिया जा रहा है सरकार की ओर से बढ़ावा, जानिए इस योजना के बारे में

मछली पालन को इस योजना के तहत दिया जा रहा है सरकार की ओर से बढ़ावा, जानिए इस योजना के बारे में

हरियाणा, किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए बनाई गई भारत सरकार की प्रमुख योजनाओं में शामिल मेरा गांव-मेरा गौरव योजना का मुख्य उद्देश्य खेती में अनावश्यक लागत को कम कर, कृषि क्षेत्र से जुड़े लोगों के आय को बढ़ाने में सहायता प्रदान करना है। केंद्र सरकार किसानों की आय को बढ़ाने के लिए कई सारी योजनाएं चला रही है। सरकार प्रयास कर रही है कि किसान की आय में बढ़ोतरी हो और वे एक सुखमय जीवन व्यतीत कर सकें। इसी तरह किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए चलाई जा रही एक योजना मेरा गांव-मेरा गौरव है। इस योजना को किसानों के लिए बनाई गई भारत सरकार की प्रमुख योजनाओं में भी शामिल किया है।

इस योजना के तहत हरियाणा के जिंद और करनाल जिले में मछली पालन करने वाले लोगों काफी सहायता मिल रही है। इस योजना की सहायता से बीमारी के कारण मर रहीं मछलियों से हो रहे नुकसान से मछली पालकों को निजात मिल गई है। वैज्ञानिकों की सहाल पर मछली पालन के व्यवसाय में लागत में कमी भी आई है। इससे किसानों की आय में बढ़ोतरी भी हुई है। जिंद जिले में 12.5 एकड़ का तालाब है जिसमें मछली पालन किया जाता है। इस तालाब में कार्प मछलियों के अलावा इंडियन मेजर कार्य (IMC), कतला, रोहू और मृगल जैसी प्रजातियों का पालन किया जाता था लेकिन किसान मछलियों में होने वाले रोगों से नुकसान के कारण काफी परेशान थे। किसानों को तीन महीने के अंदर दो मत्स्य रोगों से सामना करना पड़ा है।

जानिए कैसे मछली पालकों को मेरा गांव-मेरा गौरव योजना के तहत मिली मदद

जब तालाब में मरी हुई मछलियों की जांच की गई तो बलगम और गलफड़ों से संबंधित बीमारी सामने आई। वैज्ञानिकों ने बताया कि मछलियों के फेफड़ों पर एंकर वॉर्म कीड़ा चिपका हुआ था और यह यह एंकर वर्मा मछलियों के शरीर की बाहरी सतह पर भी नजर आया। इस रोग से मछलियों को भूख लगना बंद हो गई थी और वे काफी कमजोर हो भी गई थी। इस समस्या से परेशान हो रहे मछली पालकों के लिए मेरा गांव-मेरा गौरव योजना एक नई उम्मीद की किरण लेकर आई है। इस योजना के अंतर्गत हरियाणा के करनाल में स्थित केंद्रीय लवणता अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों की एक टीम ने जिंद और करनाल जिले में स्थित पांच गांवों को गोद ले लिया है। यह टीम किसानों की आय में बढ़ोतरी करने के लिए मछली पालन के व्यवसाय को बढ़ावा भी दे रही है।

वैज्ञानिकों ने मछली पालकों को इस रोग से बचाव करने के लिए पानी की सतह के ऊपर साइपरमेथ्रिन का प्रयोग करने की सलाह दी थी। इस प्रयोग से मछली पालकों को अच्छा परिणाम मिला और मछलियां रोगमुक्त भी हो गई। इस प्रयोग से मछलियों का वजन बढ़ने भी लगा है। वहीं दूसरे रोग के कारण मछलियों के पंखों, गलफड़ों और कुछ अंदरूनी हिस्सों में खून के रिसाव का पता लगा। वैज्ञानिकों ने जांच की तो पता चला कि तालाब में पानी की गुणवत्ता में कमी है और इसी कारण मछलियां रोगग्रस्त हो रही है।

वैज्ञानिकों की मदद से हुआ खर्चा कम

रोग के रोकथाम के लिए वैज्ञानिकों की टीम ने मछली पालकों को एक हफ्ते में तीन बार तालाब में 0.1 पीपीएम CIFAX का इस्तेमाल करने की सलाह दी है। कम लागत में मछली पालन करने के लिए वैज्ञानिकों की टीम ने मत्स्य पालकों को कुछ सलाह भी दी। इससे किसानों के मासिक लागत में 53 फीसदी तक कमी आई है और किसानों के शुद्ध लाभ में भी बढ़ोतरी हुई है।