मिश्रित खेती (एकीकृत मछली पालन) कैसे करें

मिश्रित खेती (एकीकृत मछली पालन) कैसे करें

बीते कुछ वर्षो में एकीकृत मछली पालन का व्यवसाय बहुत लोकप्रिय हुआ है। एकीकृत मछली पालन को मिश्रित खेती के नाम से भी जाना जाता है। यह अधिकतर पूर्व व दक्षिण एशियाई देशों में की जाती है। मिश्रित खेती का मतलब है कि अन्य संस्कृति की प्रणालियों के साथ मछली पालन करना। यदि आप मछली पालन के साथ खेती करते है तो इसे एकीकृत मछली पालन कहते है। एकीकृत मछली पालन एक अच्छा रोजगार का स्तोत्र है। एकीकृत मछली पालन का व्यवसाय पहले चीन, जर्मनी, मलेशिया जैसे देशों में होता था लेकिन धीरे-धीरे इस व्यवसाय ने भारत मे भी लोकप्रियता हासिल कर ली है।

मिश्रित खेती (एकीकृत मछली पालन) व्यवसाय का मॉडल:

  • यह मॉडल एक जैविक प्रणाली की फ़िजूल की पैदावार को दूसरे जैविक प्रणालियों के लिए पोषक तत्वों में बदलता है।
  • मछली पालन और कृषि की एकीकृत खेती करने से पोलीक्लचर होता है जिससे कई प्रकार के नए उत्पाद की वृद्धि होती है।
  • इस मॉडल में जल को जैविक नित्यंदन के माध्यम से दोबारा इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • यह स्वस्थ खाद्य पदार्थों का उत्पादन करता है और स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ाता है।

मिश्रित खेती (एकीकृत मछली पालन) के लाभ:

  • फ़िजूल की पैदावार का मछली पालन में उपयोग किया जा सकता है।
  • यह पूरक आहार को उत्पन्न करता है जिससे अतिरिक्त लागत कम होती है और यह एक प्रकार से संतुलित तंत्र होता है।
  • यह एक अच्छा रोज़गार का स्तोत्र प्रदान करता है।
  • यह कम लागत में अच्छा मुनाफ़ा कमाने का अवसर देता है।
  • एकीकृत मछली पालन के साथ बत्तख, मुर्गी, डेयरी, फल, सब्ज़ियाँ, अनाज, आदि की खेती एक साथ  कर सकते है।

मिश्रित खेती (एकीकृत मछली पालन) के प्रकार:

एकिकृत मछली पालन के दो प्रकार होते है:

  1. कृषि सह मछली पालन
  2. लाइव स्टॉक सह मछली पालन

1. कृषि सह मछली पालन:

  • धान सह मछली पालन: इस प्रकार की खेती हमारे देश के विभिन्न क्षेत्रों में की जा रही है। बिहार, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, असम में धान संग मछली पालन का व्यवसाय अधिकतर किया जाता है क्योंकि इन क्षेत्रों में धान के खेतों में पर्याप्त जल मौजूद होता है। इस प्रकार की खेती है धान को बीच मे उगाया जाता है। इसमें लगभग 90 क्विंटल धान की फसल के साथ 1 हेक्टेयर के तालाब में लगभग 1000 किलोग्राम मछली का उत्पादन किया जा सकता है।
  • बाग़वानी सह मछली पालन: इस प्रकार की खेती में तालाब के तट पर फल, सब्ज़ियाँ व फूलों को उगाया जाता है। जिन फलो का इस खेती में उत्पादन किया जा सकता है वे केला, आम, नारियल और सब्ज़ियाँ जैसे बैंगन, मिर्च, टमाटर, ककड़ी, आदि फल व सब्ज़ियाँ जिन्हें कम धूप की आवश्यकता होती है उन्हें मौसम अनुसार उगाया जा सकता है। यह खेती सिर्फ मछली पालन के व्यवसाय की तुलना में 20-25% अधिक मुनाफ़ा देती है।

2. लाइव स्टॉक सह मछली पालन:

  • पोल्ट्री सह मछली पालन: इस प्रकार की खेती आंध्रप्रदेश, बिहार, असम,  पश्चिम बंगाल, उत्तरप्रदेश, उड़ीसा में अधिकतर की जाती है। इस प्रकार की खेती में मुर्गियों को मछली के साथ पाला जाता है। इससे एक वर्ष में लगभग 5000 किलोग्राम मछली के उत्पादन होता है और लगभग 1250 किलोग्राम मुर्गी व 7000 अंडे का उत्पादन होता है।
  • बत्तख पालन सह मछली पालन: इस प्रकार की खेती उड़ीसा, कर्नाटक, बिहार, असम, उत्तरप्रदेश में की जाती है। इस प्रकार की खेती में लगभग 300 बत्तखों को 1 हेक्टेयर में पाला जाता है। बत्तख जलीय खरपतवार को भी नियंत्रित रखती है। एक बत्तख को कम से कम 0.3 से 0.5 वर्ग मीटर की आवश्यकता होती है। इससे लगभग 3500-5500 किलोग्राम मछली का उत्पादन और 600 किलोग्राम बत्तख व 18000 अंधे प्राप्त हो सकते है।