जानिए चीन कैसे मछली पालन में पारिस्थितिक इंजीनियरिंग की तकनीक को लागू कर वृद्धि कर रहा है

जानिए चीन कैसे मछली पालन में पारिस्थितिक इंजीनियरिंग की तकनीक को लागू कर वृद्धि कर रहा है

चीन में मछली पालन करना बहुत ही लोकप्रिय है, दुनिया में सबसे अधिक मत्स्य उत्पादन चीन में ही होता है। जैसे-जैसे चीन में जलीय कृषि का उत्पादन बढ़ता जा रहा है वैसे ही चीन के मछली किसान पारिस्थितिक इंजीनियरिंग की तकनीकों को अपनाते जा रहे है, पारिस्थितिक इंजीनियरिंग की तकनीकों से यह सुनिश्चित होता है कि उद्योग पर्यवणीय रूप से स्थाई रहे। इस तकनीक से पानी का कम उपयोग होता है, फीड का उपयोग भी कम होता है और मछली बीमार कम पड़ती है। यह तकनिक अपशिष्ठ जल में पोषक तत्वों की कमी को भी दूर करती है और यह मछलियों के जीवित रहने की वृद्धि दर को भी बढ़ाती है।

पारिस्थितिक इंजीनियरिंग क्या है?

पारिस्थितिक इंजीनियरिंग एक ऐसी विधि है जिसमे पुनरावर्तन और उत्थान के साथ-साथ विभिन्न प्रजातियों के सहजीवन के सिद्धांतों को लागू किया जाता है। चीन के इंजीनियर का कहना है कि इंसानों द्वारा निर्मित संरचना पूरक ऊर्जा का उत्पादन करने के लिए पर्यावरण को उत्तेजित और नियंत्रित कर सकती है, जब यह ऊर्जा उत्पन्न हो जाती है तब मछली किसान इसका उपयोग अच्छे उतपादन और आउटपुट्स में कर सकते है।

चीन की परिस्थिति सुविधाएं:

इको-स्लोप (ढलान)

इको-स्लोप का उपयोग तालाब के बगल में ढलान की अ-स्थिरता और पतन को कम करने के लिए किया जाता है। इको-स्लोप में पौधों और गैर जीवित पौधों के उपयोग से तीन आयामी का जाल बनाया जाता है, यह मिट्टी के कटाव को रोकते है और प्रदूषण को भी कम करते है। शोधकर्ताओं ने बताया है कि यह तकनीक पानी को शुद्ध करती है और उपसतह के प्रवाह को नियमित रखती है। अन्य शोधों से पता चला है कि इको ढलान पानी की गुणवत्ता में काफी सुधार करती हैं और तालाब में नाइट्रोजन और फास्फोरस के भार को भी कम करती हैं।

इको-खाई

इको खाई स्वाभाविक रूप से पानी को फ़िल्टर और पानी के प्रवाह को शुद्ध करती है। इको खाई का निर्माण खाई के निचले और पूर्ण लंबाई को संशोधित करने के बाद किया जाता है। इसमें विभिन्न जलीय पौधे और जानवर होते हैं जो खाई में पानी के लिए पारिस्थितिकी तंत्र की सेवाएं प्रदान करते हैं। कई अध्ययनों से पता चला है कि यह तालाब के पानी में नपुंसकता को कम करने में भी मदद करता हैं। मछली किसानों को इसका लाभ उठाने के लिए इको खाई का अच्छा प्रबंध सुनिश्चित करना होगा।

इको तालाब

इको-तालाब सीवेज के उपचार का एक स्थायी और श्रेष्ठ तरीका है, यह जलीय पौधों, कई स्तरों की मछलियों और जल प्रवाह का उपयोग करके एक जटिल पारिस्थितिकी तंत्र और एक पूर्ण खाद्य श्रृंखला का निर्माण करता हैं। चीन के मछली किसान अपने उत्पादन वाले तालाब के बगल में इको तालाब और सीवेज फ़िल्टर का निर्माण करवाते है और प्राकृतिक प्रक्रिया पर भरोसा करते हैं। इको-तालाब की तकनीक को उच्च-दर एल्गल तालाब (HRAP) के नाम से भी जाना जाता है। कई अध्ययनों से पता चला है कि HRAP सफलतापूर्वक जल की पारिस्थितिकी प्रणालियों का प्रबंधन और विनियमन करता है।  यह पारंपरिक अपशिष्ट जल के उपचार की तुलना में अधिक नाइट्रोजन और फास्फोरस की मात्रा को हटाते हैं और यह सामान्य अपशिष्ट जल के उपचार की तुलना में कम समय मे हाइड्रोलिक अवधारणा करते हैं।  शोधकर्ताओं का कहना है कि बेहतर परिणाम पाने के लिए प्रति तीन से सात मछली उत्पादन के तालाबों में एक इको तालाब का उपयोग जरूर करें।

इको-फ्लोटिंग बेड

इको फ्लोटिंग बेड को जैविक फ्लोटिंग आइलैंड के नाम से भी जाना जाता हैं। यह पौधों के छोटे द्रव्यमान होते हैं जो तालाब के पानी के ऊपर तैरते हैं और जल के शोधन में सहायता करते हैं। इको फ्लोटिंग बेड पानी में प्रदूषकों को कम करते हैं और यूट्रोफिक को पानी को से बाहर निकाल देते हैं। शोध में पाया गया है कि 80 से भी अधिक प्रकार के पौधों का उपयोग इको-फ्लोटिंग बेड की प्रणाली में किया जा सकता है और इसमें खाद्य फसलें, सब्जियां, फूल और पानी का पालक भी शामिल हैं। इस तकनीक में पौधों की जड़ प्रणाली को कार्बनिक पदार्थों, घोंघे या अन्य जलीय जीवों की मेजबानी करनी चाहिए।  यह पानी में ऑक्सीजन के भार को बढ़ाते है और पानी को फिल्टर करने के लिए यह घने मैट्रिक्स प्रदान करते है जिससे बायोफिल्म और कार्बनिक प्रदूषण कम हो जाता है। यदि तालाब में पानी के क्षेत्र का 20 प्रतिशत हिस्सा तैरता है, तो किसान को सबसे श्रेस्ठ परिणाम मिलेंगें।

इस तकनीक से चीन ने कितनी वृद्धि की है?

2000 के दशक से चीन के मछली किसानों ने अपने तालाब में पारिस्थितिक इंजीनियरिंग की तकनीकों को अपनाया है। शोधकर्ताओं ने रिवर बैंक के क्षेत्रों में और पानी की कमी वाले क्षेत्रों में सफल परियोजनाओं पर प्रकाश डाला है। पारिस्थितिक इंजीनियरिंग प्रणालियों को खारे जल के वातावरण में भी लागू किया जा सकता है। प्रारंभिक अनुमानों में पाया गया है कि तालाबों में रहने वाली मछलियों ने इस प्रणाली को अपनाया है और यह प्रणाली तालाब की नीचे की रेखा में सुधार करते हुए नाइट्रोजन और फास्फोरस के पुनः उपयोग की दरों में 50 प्रतिशत से भी अधिक की वृद्धि हुई है। एक शोध ने बताया है कि चीन के जलीय कृषि क्षेत्र में निरंतर विस्तार के लिए यह तकनीक एक बहुत ही प्रभावी तरीका है। चीन के मछली किसानों ने इस तकनीक को अपना कर बहुत लाभ उठाया है।