ओडिशा ने बायोफ़्लोक मछली पालन के लिए की नई योजना की शुरुआत

ओडिशा, इस महामारी की अवधि के दौरान लोगों को रोजगार का अवसर प्रदान करने के लिए ओडिशा सरकार ने मछली पालन में बायोफ़्लोक तकनीक के माध्यम से गहन मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए एक नई योजना शुरूआत की है। भुवनेश्वर के मत्स्य और पशु संसाधन मंत्री अरुण कुमार साहू जी ने बताया कि यह योजना उद्यमियों, बेरोजगार युवाओं और इच्छुक प्रगतिशील मछली किसानों को आर्थिक सहायता प्रदान करेगी और यह योजना राज्य में मछली उत्पादन को भी बढ़ाएगी। उन्होंने यह भी बताया कि यह योजना उन युवाओं के लिए सबसे उपयुक्त है जो महामारी के दौरान बेरोजगारी से जूझ रहे है।

कम जगह में किया जा सकता है मछली पालन:

बायोफ़्लोक मछली पालन एक सीमित क्षेत्र में गहन मछली के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए एक नई तकनीक है, जो पानी और भूमि के बुनियादी प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग कर मछली की वृद्धि बढ़ाता है। छोटी भूमि (150-200 वर्ग मीटर भूमि) वाले व्यक्ति जिसके पास जलापूर्ति हो वह इस व्यवसाय को कम पूंजी के साथ स्थापित कर सकता है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य मछली किसानों और युवा उद्यमियों की आय और जीविका को समर्थन करना है। बायोफ्लॉक सिस्टम से मीठे पानी की मछली प्रजातियां जैसे कि तिलापिया, पंगेसियस, कॉमन कार्प आदि, के लिए उपयुक्त है। बायोफ़्लोक में टैंक में अपशिष्ट कार्बनिक पदार्थ, जैसे कि फ़ीड अपशिष्ट, प्रोबायोटिक्स और कार्बन स्रोत का उपयोग करके अपशिष्ट को दोबारा मछली के फ़ीड में परिवर्तित किया जाता है।

किया जा सकता है 2000 किलो मछली का उत्पादन केवल 4000 वर्ग मीटर में:

सरकारी अधिकारी ने बताया कि बायोफ़्लोक मछली पालन में 2000 किलो मछली का उत्पादन केवल 4000 वर्ग मीटर के क्षेत्र में बने 4 छोटे टैंकों लगभग 1.2 मीटर की गहराई का उपयोग कर किया जा सकता है। प्रत्येक बायोफ़्लोक टैंक को हर 6 महीने की अवधि में लगभग 500 किलोग्राम मछली उत्पादन के लक्ष्य के साथ लगभग 1,000 से 1,500 संख्या की गुणवत्ता वाली मछली या फिंगरिंग के साथ स्टॉक किया जा सकता है। बायोफ़्लोक टैंक में हर मछली 3 महीने के भीतर लगभग 200 ग्राम और 6 महीने के भीतर 700 से 800 ग्राम तक बढ़ती है। सरकारी अधिकारी ने कहा कि बायोफ़्लोक टैंक घर की छतों पर भी स्थापित किया जा सकता है और 2 टैंकों की बायोफ़्लोक यूनिट की स्थापना के लिए लागत लगभग 1.50 लाख रुपये होती है और 6 टैंकों की लागत लगभग 4 लाख रुपये होती है।

राज्य सरकार  प्रदान करेगी 40 से 60 प्रतिशत की सब्सिडी:

सरकारी अधिकारी ने बताया कि राज्य सरकार 40 प्रतिशत की सब्सिडी प्रदान करेगी और 60 प्रतिशत की सहायता इस योजना के लिए अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लाभार्थियों को प्रदान करेगी। अधिकारी ने बताया कि यह नई और उभरती हुई सरकार सभी तकनीकी जानकारी प्रदान करेगी और इस योजना में आवेदन करने के लिए आपको भुवनेश्वर के मत्स्य विभाग में जाकर आवेदन करना होगा।