कुशीनगर में रहने वाले सुरेंद्र मछली पालन कर कमा रहे है सालाना 20 लाख रुपये

कुशीनगर में रहने वाले सुरेंद्र मछली पालन कर कमा रहे है सालाना 20 लाख रुपये

कुशीनगर, कप्तानगंज ब्लॉक इंदरपुर क्षेत्र में रहने वाले सुरेंद्र सिंह मछली पालन करके सालाना 20 लाख रुपये कमा रहे हैं। सुरेंद्र सिंह ने अभी तक 45 लोगों को रोजगार भी दिया है। सुरेंद्र खुदकी छह एकड़ की हैचरी संचालित कर स्पान बनाते है। सुरेंद्र विभिन्न गांवों में किराये पर लिए गए 50 पोखरों में स्पान डालकर मछली के बीज तैयार करते है। सुरेन्द्र द्वारा तैयार किए बीजों को बिहार, नेपाल, राजस्थान, कानपुर व अन्य जगहों के व्यापारी खरीद कर ले जाते है। सुरेन्द्र ने बताया कि उन्होंने अपने मित्र ब्रह्म सिंह के सहयोग से 1988 में मछली पालन का व्यापार शुरू किया था। सुरेंद्र ने कोलकाता जाकर हैचरी शुरू करने की पूरी प्रक्रिया शुरू की और  छोटे स्तर से इस काम को शुरू किया। धीरे-धीरे उन्हें सफलता प्राप्त होने लगी और लोग उनके यहां मछली के बीज लेने के लिए जाने लगे। वर्तमान समय मे उनका हर वर्ष लगभग डेढ़ करोड़ का कारोबार हो जाता है जिसमे से उनके सवा करोड़ रुपये खर्च हो जाते है और लगभग 20 लाख रुपये सुरेन्द्र सालाना कमा लेते है। सुरेंद्र की हैचरी में रोहू, ग्रास कार्प, सिल्वर कार्प, आदि प्रजाति की मछलियों का स्पान पैदा किया जाता है। वे हैचरी के परिसर में स्थित तालाबों में अंडे देने वाली बड़ी मछलियों का पालन करते है और मार्च के महीने में अंडा परिपिकव्व हो जाता है। इसके बाद अंडा देने वाली मछली को हैचिंग पूल में लाया जाता है। निषेचन की प्रक्रिया से पहले नर और मादा मछलियों को अलग रखा जाता है, इसके बाद उन्हें हार्मोन का इंजेक्शन लगाया जाता है। फिर हैचिंग पुल में एक मादा व दो नर मछलियों को रखा जाता है और निषेचन की प्रक्रिया के लिए रात भर फव्वारा के माध्यम से कृत्रिम बारिश कराई जाती है। इसके बाद मछली को कलेक्शन पुल में भेजा जाता है और फिर मछली 10 घंटे में अंडे देने लगती है। एक मछली एक बार में करीब 1 लाख अंडे देती है। अंडों को कलेक्शन पुल से कलेक्शन जार में भेज दिया जाता है, 72 घंटे में अंडे स्पान (जीरा की साइज) में बदल जाते हैं और फिर सुरेन्द्र उन्हें बेच देते है। इस प्रकार सुरेन्द्र सालाना 20 लाख रुपये कमा लेते है।