इस आदमी की तरह केवल 2 मछलियों का पालन कर आप भी कमा सकते है 6 लाख से ज्यादा रुपये

इस आदमी की तरह केवल 2 मछलियों का पालन कर आप भी कमा सकते है 6 लाख से ज्यादा रुपये

सोनारी के रहने वाले अमरेंद्र कुमार ने बायोफ़्लोक तकनीक से महंगी मछली पालन किया और आज वे लाखों रुपये कमा रहे है। बायोफ़्लोक तकनीक ऐसी आधुनिक तकनीक है जिसमे आप कम जगह और कम खर्च में अधिक मछलियों का उत्पादन कर सकते है। अमरेंद्र कुमार ने बीसीए की पढ़ाई की है और व बच्चों को ट्यूशन पढ़ाते थे लेकिन वह कुछ ऐसा करना चाहते थे जिससे उनकी आमदनी बड़े, इसलिए उन्होंने मछली पालन करने का फैसला लिया। मछली पालन शुरू करने के लिए उन्होंने पहले कृषि विज्ञान केंद्र और सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ फ्रेश वॉटर एक्वाकल्चर से प्रशिक्षण लिया। प्रशिक्षण लेने के बाद अमरेंद्र ने बायोफ़्लोक तकनीक से मछली पालन करना शुरू कर दिया। अमरेंद्र ने बताया कि बायोफ़्लोक तकनीक से मछली पालन करने के लिए अधिक जगह और पानी की जरूरत नहीं होती है और तालाब खुदवाए बिना ही टैंक में आसानी से मछली का पालन किया जा सकता है और इसमे मछली को फीड देने में भी कोई परेशानी नहीं आती है। अमरेंद्र इसमें रेड तिलापिया और कवई जैसी महंगी मछलियों का पालन करते है। अमरेंद्र ने 4 साल पहले अपने दोस्त के साथ मिलकर मछली पालन करना शुरू किया था। जब वह मछली पालन करना अच्छे से सिख गए तो उन्होंने अपनी खुद की जमीन खरीदी और उसपे मछली पालन करना शुरू किया। अमरेंद्र बताया कि उन्होंने 10 हजार लीटर के तारपोलिन टैंक का निर्माण करवाया है जिसमें उन्होंने एक TDS और सेंसर लगवाया है ताकि वह मछलियों पर नजर रख सकें। अमरेंद्र को 10 हजार लीटर के तारपोलिन टैंक का निर्माण करवाने में केवल 70 हजार रुपये का खर्च आया था। इस टैंक से वे साल में 4 बार मछलियों का उत्पादन करते है। अमरेंद्र 4 बार में एक टैंक से 20 हजार मछलियों का उत्पादन करते है। अमरेंद्र ने बताया कि अगर वे होलसेल में इन मछलियों की बिक्री करते है तो उन्हें 6 लाख रुपये की आमदनी होती है और अगर रिटेल में बिक्री करते है तो उन्हें 8 लाख रुपये की आमदनी होती है। अमरेंद्र अधिकतर अपनी मछलियों की बिक्री आंध्र प्रदेश में करते है। आंध्र प्रदेश में 600 से 800 रुपये किलो की कीमत पर कवई व रेड तिलपिया मछली की बिक्री आसानी से हो जाती है। अमरेंद्र केवल कवई और रेड तिलापिया का पालन अपने तालाब में करते है।

सोनारी के रहने वाले अमरेंद्र कुमार ने बायोफ़्लोक तकनीक से महंगी मछली पालन किया और आज वे लाखों रुपये कमा रहे है। बायोफ़्लोक तकनीक ऐसी आधुनिक तकनीक है जिसमे आप कम जगह और कम खर्च में अधिक मछलियों का उत्पादन कर सकते है। अमरेंद्र कुमार ने बीसीए की पढ़ाई की है और व बच्चों को ट्यूशन पढ़ाते थे लेकिन वह कुछ ऐसा करना चाहते थे जिससे उनकी आमदनी बड़े, इसलिए उन्होंने मछली पालन करने का फैसला लिया। मछली पालन शुरू करने के लिए उन्होंने पहले कृषि विज्ञान केंद्र और सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ फ्रेश वॉटर एक्वाकल्चर से प्रशिक्षण लिया। प्रशिक्षण लेने के बाद अमरेंद्र ने बायोफ़्लोक तकनीक से मछली पालन करना शुरू कर दिया। अमरेंद्र ने बताया कि बायोफ़्लोक तकनीक से मछली पालन करने के लिए अधिक जगह और पानी की जरूरत नहीं होती है और तालाब खुदवाए बिना ही टैंक में आसानी से मछली का पालन किया जा सकता है और इसमे मछली को फीड देने में भी कोई परेशानी नहीं आती है। अमरेंद्र इसमें रेड तिलापिया और कवई जैसी महंगी मछलियों का पालन करते है। अमरेंद्र ने 4 साल पहले अपने दोस्त के साथ मिलकर मछली पालन करना शुरू किया था। जब वह मछली पालन करना अच्छे से सिख गए तो उन्होंने अपनी खुद की जमीन खरीदी और उसपे मछली पालन करना शुरू किया। अमरेंद्र बताया कि उन्होंने 10 हजार लीटर के तारपोलिन टैंक का निर्माण करवाया है जिसमें उन्होंने एक TDS और सेंसर लगवाया है ताकि वह मछलियों पर नजर रख सकें। अमरेंद्र को 10 हजार लीटर के तारपोलिन टैंक का निर्माण करवाने में केवल 70 हजार रुपये का खर्च आया था। इस टैंक से वे साल में 4 बार मछलियों का उत्पादन करते है। अमरेंद्र 4 बार में एक टैंक से 20 हजार मछलियों का उत्पादन करते है। अमरेंद्र ने बताया कि अगर वे होलसेल में इन मछलियों की बिक्री करते है तो उन्हें 6 लाख रुपये की आमदनी होती है और अगर रिटेल में बिक्री करते है तो उन्हें 8 लाख रुपये की आमदनी होती है। अमरेंद्र अधिकतर अपनी मछलियों की बिक्री आंध्र प्रदेश में करते है। आंध्र प्रदेश में 600 से 800 रुपये किलो की कीमत पर कवई व रेड तिलपिया मछली की बिक्री आसानी से हो जाती है। अमरेंद्र केवल कवई और रेड तिलापिया का पालन अपने तालाब में करते है।